NEWSPR डेस्क। तकनीक के मामले में चीन का कोई तोड़ नहीं है. कभी इंजीनियरिंग तो कभी बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट के मामले में चीन दुनिया को हैरान कर देगा. चीन का ऐसा ही एक एक्सपेरिमेंट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. चीन अब मां के गर्भ के अंदर ही अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का इंतजाम कर लिया है. बेहद पर्सनल माने जाने वाले अनबॉर्न बच्चों के डीएनए का भी डेटा चीन इकट्ठा कर रहा है, ताकि वो इनकी Gene Correction कर सके.
इस तरह के एक्सपेरिमेंट के ज़रिये चीन की कोशिश अपनी सेना को सुपर सोल्जर्स में बदल रहा है. एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक चीनी पेरेंटल कंपनी और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस प्रयोग के लिए एक साथ काम रहा है. BGI ग्रुप की स्टडी के मुताबिक ब्रेन सर्जरी के माध्यम से ऊंचाई पर तैनात सैनिकों की सुरक्षा के लिए जीन और दवाओं पर चर्चा की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन दुनिया के कई देशों की गर्भवती महिलाओं के जेनेटिक डेटा पर रिसर्च कर रहा है. ये डेटा उसे BGI ग्रुप की ओर से मिल रहा है, जो 50 से ज्यादा देशों में पेरेंटल टेस्ट की सर्विस देता है .
चीन का ये बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. आशंका जताई जा रही है कि चीन इस तरह के डेटा पर अध्ययन करके अनुवांशिक तौर पर ही काफी उन्नत और जांबाज सैनिक तैयार कर सकता है. हालांकि अध्ययन का मकसद सैनिकों के जीन में परिवर्तन करके उन्हें गंभीर बीमारियों से सुरक्षित करना बताया गया है, लेकिन चीन की चालाकी को लेकर भारत ही नहीं अमेरिका भी आशंकित है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने चेतावनी देते हुए साफ किया है कि BGI Group जिस तरह महिलाओं के जीनोमिक डेटा का आर्टिफिशियन डेटा के साथ अध्ययन कर रहा है, उसका फायदा चीन सैनिक और आर्थिक स्तर पर उठा सकता है. ये खतरा इतना बड़ा हो सकता है कि चीन फार्मा की ग्लोबल इंडस्ट्री पर भी कब्जा कर ले.
BGI Group पेरेंटल टेस्ट की बेहतरीन सर्विस दुनिया के करीब 50 से ज्यादा देशों में देता है. ऐसे में रिपोर्ट कहती है कि चीनी कंपनी अलग-अलग देशों की 80 लाख महिलाओं पर स्टडी कर रहा है, जबकि कंपनी का दावा है कि वो सिर्फ चीन की महिलाओं के ही डेटा पर रिसर्च कर रही है. कंपनी का कहना है कि इससे सैनिकों को एल्टीट्यूड सिकनेस और सुनने की क्षमता कम होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है.
बताया जा रहा है कि पिछले एक साल से भारत-चीन सीमा पर तैनात ज्यादातर चीनी सैनिक बीमार पड़े हैं, ऐसे में चीन उनकी क्षमताओं को विकसित करना चाहता है. हाालंकि चीन की इस बात पर भरोसा न तो भारत कर पा रहा है, न ही अमेरिका.