बाढ़: इसी स्लोगन से मिलता-जुलता एक मामला बाढ़ थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर गांव से प्रकाश में आया है। जहां 52 बीघा की रकबा में फैला 500 वर्ष पुरानी मजार की मिट्टी और पुराने पेड़- पौधे को केयरटेकर द्वारा ही बेच दिया गया है! केयरटेकर सह सचिव पर ऐसा ही आरोप एक स्थानीय बुजुर्ग द्वारा लगाया गया है!
विदित हो कि मोहम्मदपुर गांव की बियाबान बगीचे में एक बहुत पुरानी मजार है। जिसे “बंदे हक्कानी का मजार” कहा जाता है। पूर्व में यहां बाढ़ अनुमंडल का सबसे बड़ा ‘उर्स मेला’ लगा करता थाष। जिसका आज की तारीख में नामोनिशान तक नहीं है। और कथित तौर पर यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है! बर्बाद होती इस ‘मुस्लिम ऐतिहासिक धरोहर’ की सुरक्षा हेतु सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा इसे अपने कब्जे में लिया गया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ‘मोहम्मद इरशाद’ के द्वारा 2008 में इस प्रॉपर्टी की देखरेख के लिए ‘सैयद इम्तियाज’ को ‘सचिव’ नियुक्त किया गया। सचिव महोदय द्वारा ही इस भूखंड की मिट्टी और पुराने पेड़-पौधे बेचकर करोड़ों रुपए डकार लिए गए! ऐसा आरोप यहां के एक स्थानीय बुजुर्ग द्वारा लगाया जा रहा है।
बागीचे में नहीं बचा कोई पुरान पेड़, गहरे तालाब के रूप में मौजूद है मिट्टी बेचे जाने के निशां
मिट्टी बेचे जाने की निशान भी काफी गहरे तालाब के रूप में यहां मौजूद है! और इतना पुराना बगीचा होने के बावजूद एक भी पुराने पेड़-पौधे यहां मौजूद नहीं है। जो यह साबित करता है कि यहां दाल में ‘कुछ काला’ नहीं बल्कि पूरा ‘दाल ही काली’ है! हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशाद ने इस पर जांच के बाद उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है! फिर भी बरसों से इतनी बड़ी ऐतिहासिक धरोहर में इतनी बड़ी लूट होती रही,और ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड’ को कुछ पता ही नहीं चला ? ये बात कुछ हजम नहीं होता है! कहीं ना कहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड भी संदेह के घेरे में दिखाई देती है।
अजय कुमार