NEWSPR डेस्क। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश की एक काला सच्चाई है कि यहां वोट की भी राजनीत होती है। सरकार में शामिल सत्ता दल अपने-अपने फायदे को देखते हुए राजनीति करते हैं। वोट की राजनीति के चक्कर में जनता के जनहित वाले मुद्दे गौन हो जाते हैं। कोरोना काल में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं। ताजा मामला उत्तरप्रदेश और केरल से जुड़े हैं।
देश में बकरीद की तैयारी जोरो पर है। कोरोना काल भी चल रहा है। ऐसे में सादगी ढंग से बकरीद मनाने की अपील की जा रही है। हालांकि वाम मोर्चा वाली केरल सरकार का एक फैसला चौंकानेवाला है। बकरीद मनाने को लेकर यहां लॉकडाउन में तीन दिनों की छूट दी गई है। ये फैंसला इसलिये चौकानेवाला है क्योंकि यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। यहां एक दिन में 16148 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। इस परिस्थिति में भी यहां छूट दी गई है। ऐसे में साफ जाहिर है, यहां जनहित की नहीं, बल्कि वोट की राजनीत हो रही है। सरकार के इस फैसले से जनता को कितना लाभ मिलेगा ये तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन कोरोना के दूसरी लहर के गिरफ्त में है, ऐसे में ये छूट से संक्रमण के फैलने की संभावना प्रबल जरूर हो गई है।
अब बात करते हैं उत्तरप्रदेश की। यहां बीजेपी की सरकार है। कोरोना काल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई सख्त फैसले लिये हैं। इस बार भी इनकी सरकार ने सख्त फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि यहां बहुत ही कम (100 से भी नीचे) संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, यूपी में 24 घंटे में सिर्फ 81 नये संक्रमित मरीज मिले हैं। इसके बावजदू योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि कोरोना के तीसरी लहर की संभावना है, इसे देखते हुए राज्य सरकार का ये फैसला है। यहां तक की कई कांवड़ संघों ने खुद फैसला लिया है प्रशासन को लिखित में कहा है कि वे कोरोना संक्रमण के चलते कांवड़-यात्रा नहीं निकालेंगे। अलबत्ता, जलाभिषेक कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए ही होगा।
यूपी और केरल में कोविड गाइडलाइन को देखते हुए सवाल उठता है कि यूपी में कोरोना के 100 से भी कम संख्या में मरीज मिल रहे हैं फिर भी यहां कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई। जबकि केरल में 15 हजार से अधिक की संख्या में मरीज मिल रहे हैं, इसके बाद भी यहां बकरीद मनाने को लेकर लॉकडाउन में तीन दिनों की छूट दी गई है। ये वोट की राजनीत नहीं तो और क्या है?