मोतीहारीः कर्फ्यू। एक ऐसा शब्द, जो कोई नहीं चाहता है कि उनके इलाके में लागू हो। लेकिन, मोतीहारी के राजाबाजार स्थित सरकारी कॉलोनी में कर्फ्यू जैसा माहौल बन गया है। यह कर्फ्यू प्रशासन ने नहीं लगाया है। बल्कि इसे प्राकृतिक कर्फ्यू कहा जा सकता है। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि इस कर्फ्यू के लिस प्रशासन के अधिकारी जिम्मेदार हैं।
सरकारी क्वार्टर के लिए किस तरह की मारामारी होती है, यह किसी सरकारी कर्मी से पूछा जा सकता है। एक बार क्वार्टर मिलने के बाद कोई उसे छोड़ना नहीं चाहता है। लेकिन मोतीहारी के राजा बाजार में सरकारी क्वार्टर में शायद ही कोई रहना चाहता है। जिले में कहीं बाढ़ आए न आए, लेकिन इक कॉलोनी में बरसात के मौसम शुरू होते ही बाढ़ जैसा नजारा उत्पन्न हो जाता है। जिसके कारण पूरे इलाके में एक तरह से कर्फ्यू जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोग घर में रहने पर मजबूर हो जाते है।सरकारी क्वार्टर के कर्मचारियों और उनके परिवार को हमेशा यह सताते रहती है कि किसी भंयकर महामारी के शिकार हो जायेंगे। वर्षा छूटने के बाद जब सूरज निकलने के बाद पानी सडने लगता है। जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
अपने ही कर्मियों को नहीं दे पा रहे बेहतर सुविधा
बताया गया कि सरकारी क्वार्टर बहुत ही पुरानी हो चुकी है। यहां जल निकासी के सारे इंतजाम बेकार हो चुके हैं। वहीं नियमित मरम्मत नहीं होने से क्वार्टर की दीवारें कमजोर हो गई है और यह धाराशायी हो सकती है। लेकिन अपने ही कर्मियों के प्रति प्रशासन का रवैया गैरों वाला रहा है।सरकारी कर्मचारियों को नौकरी करना है तो इस परिस्थिति मे रहना मजबूरी है।