NEWSPR डेस्क। पटना PMCH यानी सूबे का सबसे बड़ा अस्पताल, इस हॉस्पीटल की स्थापना अंग्रेजी हुकुमत के दौरान सन 1925 में हुई थी। उस समय इस अस्पताल का निर्माण करने वाले लोगों का यही सपना होगा कि सूबे के लोग यहां आयेंगे और अपनी बिमारियों का इलाज करायेंगे। अब साल 2021 है। यानी 4 सालों बाद इस अस्पताल के 100 साल पूरे हो जायेंगे। लेकिन इतने सालों बाद वो सपना साकार नहीं हो पाया है। हम ये बात बोल रहे हैं, हो सकता है यहां की सरकार को ये नागवार गुजरे, पर क्या करें आज हमने जो यहां की तस्वीर देखी है, जिसे देखने के बाद हर कोई का रूह कांप जायेगा और वो भी यही कहेगा।
यहां एक मां बाप बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। बच्चा उनके गोद में बेसुध पड़ा होता है। उसके माता-पिता गोद में लेकर इधर-उधर भटकते रहते हैं। वो अस्पताल में इलाज की गुहार लगाते हैं। रोते बिलखते रहते हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगता। ना उन्हें ट्रॉलि प्रदान करते हैं और ना ही इलाज की कोई व्यवस्था करते हैं। यहां तक की रोते बिलखते उस मां बाप को ये कहकर भटका दिया जाता है कि यहां नहीं वहां जाइये वहीं इलाज होगा। और इस सलाह के साथ उनकी जिम्मेदारी खत्म। ये उस अस्पताल की कहानी है जो जल्द ही 100 साल पूरा करने वाला है। यानी PMCH, बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल।
जहां डबल इंजन वाली सरकार है। एक इंजन बीजेपी है, तो दूसरा जेडीयू। बीजेपी यानी केन्द्र में शासन चलाने वाली पार्टी। और इसी पार्टी के दिग्गगज नेता के पास यहां के स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी भी है। दूसरा इंजन जेडीयू, यानी सुशासन देने वाली पार्टी। इस पार्टी को नीतीश कुमार के नाम से जाना जाता है, जो इस सूबे के मुखिया हैं। बावजूद इसके बिहार के सबसे बड़े अस्पताल का ये हाल हो तो फिर आप खुद समझ लिजिये इस सूबे के स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल।
PMCHके सरकारी दावे खोखले नजर आ रहा है लापरवाही का आलम ये है कि यहां इमरजेंसी में डॉक्टरों ने इलाज करने के बजाय गंभीर हालत में बच्चे को प्राथमिक इलाज न कर परिजनों को बच्चा वार्ड में ले जाने को कह अपना पल्ला झाड़ दिया ,हद तो तब हुई जब PMCH सुविधाओ की गुण गाने वाले किसी कर्मी न ही डॉक्टरों ने मानवता का सही परिचय दिया है ,परिजन गंभीर हालत में बच्चे को गोद में उठा कर बाइक के जरिये इमरजेंसी वार्ड से बच्चा वार्ड की ओर भागते नजर आए, PMCH में जहां स्ट्रेचर और कर्मियों की कमी नही है वही मानवता को भूलने वाले डॉक्टर की लापरवाही साफ नजर आ रहा है जहां एक मां चीखती चिल्लाती रही पर किसी ने ये तक जहमत नही उठाया कि बच्चे का पहले इलाज कर दे।
पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…