NEWSPR डेस्क। जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धासमुन अर्पित किए और कोटि-कोटि नमन किया। संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी आजीवन शांति व भाईचारे का संदेश देने वाले थे।
सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक सिख धर्म के पहले गुरु भी माने जाते हैं। गुरु नानक की मृत्यु 22 सितंबर 1539 को हुई थी। उन्होंने अपने धार्मिक और सामाजिक उपदेशों के जरिए समाज को एकता और प्यार-प्रेम का पाठ पढ़ाया. आज गुरु नानक की 481वीं पुण्यतिथि (Guru Nanak Death Anniversary 2020) है। क्या आप जानते हैं गुरु नानक ने एक बार मक्का मदीना यात्रा की यात्रा पर इस्लाम धर्म के अनुयाइयों को बड़ी शिक्षा दी थी।
गुरु नानक देव ने अपने शिष्य मरदाना के साथ करीब 28 वर्षों में दो उपमहाद्वीपों में पांच प्रमुख पैदल यात्राएं की थीं, जिन्हें उदासी कहा जाता है। इन 28 हजार किलोमीटर लंबी यात्राओं में गुरु नानक ने करीब 60 शहरों का भ्रमण किया। अपनी चौथी उदासी में गुरु नानक ने मक्का की यात्रा की। उन्होंने हाजी का भेष धारण किया और अपने शिष्यों के साथ मक्का पहुंच गए। कई हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के कई तीर्थस्थलों की यात्रा करने के बाद नानक ने मक्का की यात्रा की थी।
गुरु नानक की मक्का यात्रा का विवरण कई ग्रन्थों और ऐतिहासिक किताबों में मिलता है. ‘बाबा नानक शाह फकीर’ में हाजी ताजुद्दीन नक्शबन्दी ने लिखा है कि वह गुरु नानक से हज यात्रा के दौरान ईरान में मिले थे। जैन-उ-लबदीन की लिखी ‘तारीख अरब ख्वाजा’ में भी गुरु नानक की मक्का यात्रा का जिक्र किया है। जैन-उ-लबदीन ने नानक और रुकुद्दीन के बीच संवाद का उल्लेख भी किया है। हिस्ट्री ऑफ पंजाब, हिस्ट्री ऑफ सिख, वारभाई गुरदास और सौ साखी, जन्मसाखी में भी नानक में भी नानक की मक्का यात्रा का जिक्र किया गया है। गुरु नानक जी के एक शिष्य का नाम मरदाना था। वह मुस्लिम था। मरदाना ने गुरु नानक से कहा कि उसे मक्का जाना है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब तक एक मुसलमान मक्का नहीं जाता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है।
गुरु नानक ने यह बात सुनी तो वह उसे साथ लेकर मक्का के लिए निकल पड़े। गुरु जी मक्का पहुंचे तो वह थक गए थे और वहां पर हाजियों के लिए एक आरामगाह बनी हुई बनी हुई थी तो गुरु जी मक्का की तरफ पैर करके लेट गए। हाजियों की सेवा करने वाला खातिम जिसका नाम जियोन था वह यह देखकर बहुत गुस्सा हुआ और गुरु जी से बोला- क्या तुमको दिखता नहीं है कि तुम मक्का मदीना की तरफ पैर करके लेटे हो। गुरु नानक ने कहा कि वह बहुत थके हुए हैं और आराम करना चाहते हैं। उन्होंने जियोन से कहा कि जिस तरफ खुदा न हो उसी तरफ उनके पैर कर दे तब जियोन को गुरू नानक की बात समझ में आ गई कि खुदा केवल एक दिशा में नहीं बल्कि हर दिशा में है। इसके बाद जियोन को गुरु नानक ने समझाया कि अच्छे कर्म करो
और खुदा को याद करो, यही सच्चा सदका है।