पटना: लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों के रक्षा हेतु विरोध वाजिब है और ऐसा होना भी चाहिए लेकिन शिक्षक होने और बुद्धिजीवी समाज से आने के नाते विरोध का हर पहलू सार्थक होना चाहिए। यह बातें शिक्षक नेता सह चुनाव अभियान समिति के प्रवक्ता डॉ रजनीश कुमार ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर कही।
उन्होंने कहा कि इस पर भी गौर करना बेहद जरूरी है कि निरर्थक विरोध वह चाहे किसी व्यक्ति का हो या किसी व्यक्तित्व का या फिर किसी विचारधारा का, शुरू से ही ऐसे विरोधों और ऐसे विरोधियों अर्थात दोनों का वास्तविक प्रभाव शुन्य ही रहा है। आगामी शिक्षक विधानपार्षद चुनाव में शिक्षक नेता केदारनाथ पांडेय की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक मौसमी शिक्षक नेताओं के झांसे में न आये, वर्तमान एमएलसी से ही शिक्षकों का स्थायी भला होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सफल लोकतंत्र में सार्थक विरोध जहां ‘सबल और प्रभावी’ तरीका है, वहीं इससे लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूती मिलती है। निरर्थक विरोध स्वच्छ लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए घातक है। समाज में व्यक्ति बड़ा नहीं होता बल्कि उसके सोच और उसके सुकर्म उसे समाज में बड़ा और आदरणीय बनाते हैं और केदारनाथ पांडेय इसका उदाहरण हैं। विरोधियों पर वार करते हुए डॉ रजनीश ने कहा कि भारतीय इतिहास में ऐसे अनेकों प्रमाण बिखरे पड़े हैं, जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि गुमराह और भटके हुए लोग हमेशा दूसरों की कमजोरी या कमी ढूंढने में ही अपना बहुमूल्य समय व्यतीत करते हैं। इसप्रकार के निरर्थक सोच वाले लोग न ही अपना और न ही समाज का अर्थात किसी का भला न करते हैं और न ही किसी का भला होते देखना पसंद करते हैं।