NEWSPR डेस्क। भागलपुर में नवरात्र के दूसरे दिन भीखनपुर के सरिता सिन्हा एवम राजीव सिद्दार्थ के घर माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के बाद रात 12 बजे एक साथ चार ब्रम्हकमल खिला। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, ये कमल के फूल की एक खास किस्म है, जो भारत में हिमाचल, हिमालय और उत्तराखंड में पाई जाती है. इसके अलावा इसके अलावा बर्मा और चीन के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी ब्रह्म कमल दिखता है. आमतौर पर ये फूल काफी दुर्गम स्थानों पर होता है और कम से कम 4500 मीटर की ऊंचाई पर ही दिखता है. लेकिन ये सुखद संयोग है कि ये फूल भागलपुर में भी खिला है।
ब्रह्म कमल का धार्मिक महत्व : माँ ब्रह्चारिणी की पूजा की जो महत्ता है वह अपरम्पार है। लेकिन उस खास मौके पर ब्रम्हकमल का खिलना और उसे देख पाना यानी खिले हुए ब्रम्हकमल का दर्शन, जीवन की सारी मनोकामना को पूर्ण करती है। सरकार बाड़ी के पुजारी विप्लब् भट्टाचार्य कहते हैं कि ब्रम्हकमल फूल ब्रम्हा जी के हाथों में होता है। जबकि ब्रम्हा, विष्णु और महेश के तेज से दुर्गा माता की उत्पत्ति हुई है। उस कड़ी में ब्रह्चारिणी माता के आगमन के दिन अगर ब्रम्हकमल का फूल दर्शन हो जाये, तो देखने वाले धन्य हो जाते हैं और सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
ऊंचाई पर ही मिलते रहे है ब्रह्म कमल : ब्रह्म कमल या ब्रह्म कमलम एक स्थानीय और दुर्लभ फूल वाले पौधे की प्रजाति है जो मुख्य रूप से भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। फूल को ‘हिमालयी फूलों के राजा’ के रूप में भी जाना जाता है। स्टार जैसा दिखने वाला फूल दिखने में बहुत ही खूबसूरत है। ब्रह्मकमल का अर्थ ही है ‘ब्रह्मा का कमल’ कहते हैं और उनके नाम ही इसका नाम रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
फूल खिलने में लगता है 2 घंटे का वक्त : साल में सिर्फ एक बार रात में खिलने वाला यह ब्रह्म कमल का फूल भागलपुर में पूरी तरह खिल चुका है. यह फूल सुबह सूर्योदय से पहले मुरझा जाता है. हिमालय में खिलने वाले इस अनोखे प्रकार के फूल भागलपुर में खिला है, इससे क्षेत्र से लोग चकित हैं। इस फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है। फूल मानसून के मध्य के महीनों के दौरान खिलता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है। इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है।
इन रोगों में काम आता है ब्रह्म कमल : ब्रह्मकमल के कई औषधीय उपयोग भी हैं। जले-कटे में, सर्दी-जुकाम, हड्डी के दर्द आदि में इसका उपयोग किया जाता है। इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है। सीमा क्षेत्र में रहते वाले ग्रामीण गांव में रोग-व्याधि न हो, इसके लिए पुष्प को घर के दरवाजों पर टांग देते हैं। बता दें कि तिब्बत में ब्रह्म कमल को दवाओं और आयुर्वेद से जुड़ी चीजें बनाने में काम में लाया जाता है। किसी तरह के घाव को भरने के लिए उत्तराखंड के लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्म कमल दिखने में भले ही आकर्षक हो लेकिन इसकी गंध बहुत तेज और कड़वी होती है। अपने इसी गुण के कारण फूल एक एक्सीलेंट लिवर टॉनिक है। यह लिवर पर फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। ब्रह्म कमल के फूल से तैयार सूप लिवर की सूजन (inflammation) का इलाज करने और शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद कर सकता है।
भागलपुर से श्यामानंद सिंह की रिपोर्ट….