NEWSPR डेस्क।
हिंदू धर्म में जितने भी त्यौहार और व्रत किए जाते हैं उनके पीछे कोई उद्देश, कोई महत्व अवश्य जुड़ा होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर दिवाली के त्यौहार का महत्व क्या होता है या फिर हम दिवाली का यह त्यौहार क्यों मनाते हैं? हिंदू धर्म के अनेकों त्योहारों में से दिवाली का त्यौहार यकीनन सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। यह रौशनी का उत्सव कई जगहों पर 5 दिनों तक चलता है। ऐसे में स्वाभाविक है इस त्यौहार को मनाने की वजह भी अवश्य होगी।
दिवाली के त्योहार से जुड़ी प्रभु श्री राम की कहानी : दिवाली की सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक है प्रभु श्री राम की अयोध्या वापस लौटने की कहानी। कहते हैं इसी दिन 14 वर्षों का वनवास काटकर प्रभु श्री राम अपनी पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ वापस अपने राज्य लौटे थे। बताया जाता है त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने अश्विन माह की दशमी तिथि को शुक्ल पक्ष के दिन अहंकारी रावण का वध किया था और इस दिन को दशहरा या विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। अहंकारी रावण का वध करने के बाद प्रभु श्री राम अपनी पत्नी और अपने भाई के साथ अपने जन्म स्थान अयोध्या लौटे थे। यहां वापस आने में उन्हें तकरीबन 20 दिनों का समय लगा था।
प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापसी पर अयोध्या वासियों ने प्रभु श्री राम और उनके भाई और उनकी पत्नी के स्वागत में पूरे राज्य को दीयों से सजाया था। कहा जाता है तभी से प्रत्येक वर्ष दिवाली के त्योहार की परंपरा की शुरुआत हुई। इस वर्ष दशहरा 15 अक्टूबर को मनाया गया था और अब 4 नवंबर को दिवाली मनाई जा रही है।
इस दिवाली बन रहा है शुभ योग : इस वर्ष दिवाली पर दुर्लभ संयोग भी बन रहा है क्योंकि इस साल दिवाली पर सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह, और चंद्रमा ग्रह एक ही राशि में स्थित होने वाले हैं। तुला राशि में इन चारों ग्रहों का एक साथ स्थित होना व्यक्ति के जीवन में शुभ परिणाम लेकर आने की वजह बन सकता है।
ग्रहों के दुर्लभ संयोग से व्यक्ति को मिल सकते हैं ये लाभ :
- इससे व्यक्ति को धन लाभ होने की संभावना बढ़ जाती है।
- साथ ही व्यक्ति को अपनी नौकरी और व्यापार में तरक्की के योग भी प्रबल होने लगते हैं।