NEWSPR डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया। संबोधन के दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। केन्द्र सरकार के कृषि बिल वापस लेने के बाद लालू प्रसाद ने किसानों, गरीबों और मेहनतकश लोगों की जीत बताया और शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र, संविधान और देश की जीत है। लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘यह किसानों, मजदूरों, गरीबों और मेहनतकश लोगों की जीत है। यह लोकतंत्र, संविधान और देश की जीत है। पूंजी परस्त अहंकारी सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।’
आगे उन्होंने कहा, ‘देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से! बहुमत में अहंकार नहीं, बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।’
तेजप्रताप ने अपने अंदाज में दी प्रतिक्रिया
कृषि कानून के वापस लेने पर तेजप्रताप यादव वे कहा कि थूक कर चाटना इसी को कहते हैं, अहंकार की हार इसी को कहते हैं! किसान एकता ज़िन्दाबाद. बेरोज़गारी,भुखमरी,महंगाई और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हमारी एकता जीतती रहेगी… जय हिन्द, वन्दे मातरम् ।
आरजेडी के राज्यसभा सांसद और मुख्य प्रवक्ता मनोज झा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा है कि देखे यह दो बातें निकल कर सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल को वापस लेने की बात कही है यह जीवित आंदोलन का एक सबसे बड़ा परिचय है और साथ ही साथ प्रधानमंत्री को अभी समझ में आ गया है कि जबरदस्ती से बिना लोगों के सहमति से संसद भवन में केवल कानून पास कराने से कानून लागू नहीं होता है। वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी तीनों कानून वापस लिए जाने पर कहा कि सत्ता के जाने के डर से लिया गया निर्णय है उन्होंने कहा कि जिस तरीके से किसानों ने आंदोलन किया, किसान लगातार सड़क पर थे तो कहीं ना कहीं सरकार को लगा कि अब इसका उल्टा असर होगा।