NEWSPR डेस्क। नवादा जिले में पंचायत चुनाव का समापन के साथ जिला से लेकर प्रखंड सरकार गठन को ले चर्चाएं आरंभ हो गयी है । 14 प्रखंडों में दस चरणों में हिंसामुक्त चुनाव संपन्न करा जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है । अब चुनाव परिणाम सामने आने के बाद नई राजनीति का जोङतोङ शुरू हो गया है । पंचायत स्तर पर उप मुखिया, उप सरपंच, प्रखंड स्तर पर प्रमुख-उप प्रमुख व जिला स्तर पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का लिए चुनाव कराया जाना है । इसमें से सबसे दिलचस्प चुनाव जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का माना जाता है । ऐसे में आने वाला कुछ दिन राजनीतिक रोमांच से भरा रहेगा ।
इन चार में एक का सर सजेगा ताज : जिला परिषद अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति महिला के लिये आरक्षित है । चुनाव परिणाम जो सामने आये हैं उनमें से गोविन्दपुर प्रखंड से पूर्व जिप अध्यक्ष पुष्पा देवी, सिरदला से सिंकी देवी व बसंती देवी तथा नारदीगंज प्रखंड क्षेत्र के अधिवक्ता निशा चौधरी अनुसूचित जाति वर्ग की महिला जिला पार्षद चुनाव में बाजी मारी है । इनमें से सिंकी व निशा पहली बार निर्वाचित हुई है तो बसंती व पुष्पा पूर्व में भी सदस्य रह चुकी है । पुष्पा तीन वर्षों तक जिप अध्यक्ष रह चुकी है । दोनों के पास राजनैतिक जोङतोङ के साथ राजनीति का अनुभव है । बावजूद सत्ता सिंहासन पर पहुंचने के लिए राजनीतिक अनुभव के बजाय संख्या बल की आवश्यकता होती है । ऐसे में इन चार में से कौन संख्या बल को अपने पक्ष में लाने में सफल होती है यह वक्त बतायेगा?
जोङ-तोङ का चल रहा खेल : इस बार का चुनाव पूर्व में हुये चार चुनावों से काफी अलग था । इस बार ईवीएम से चुनाव के कारण दस चरणों में हिंसा मुक्त चुनाव हुआ । पहले चरण के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से ही खेमा बनना शुरू हो गया था ।कौन पार्षद किस गुट का जीता उसके अनुसार समीकरण बनता बिगङता रहा था । इस क्रम में हिसुआ विधानसभा के पूर्व व वर्तमान विधायक को निराशा हाथ लगी तथा वे एक भी पार्षद को जीता पाने में विफल रहे । यहां तक कि वर्तमान विधायक अपनी दोनों देवरानी तक को नहीं जीता सकी।
कई खेमे में बंटे हैं पार्षद: निर्वाचित पार्षद कई खेमे में बंटे हैं । कुछ पार्टी व उसकी विचारधारा के अनुरूप समर्पित हैं तो कुछ खास महारथी के कट्टर समर्थक । पार्टी स्तर पर चुनाव भले ही न हुआ हो लेकिन इनमें से राजद,जद यू व भाजपा के विचार धारा वाले पार्षदों की संख्या अधिक है । कुछ ऐसे भी पार्षद हैं जो खुद के बूते चुनावी बेङा किये हैं । ऐसे पार्षदों का अपना विशेष महत्व है ।
बहुमत के लिए चाहिए 13 का आंकड़ा : जिला में पार्षदों की संख्या 25 है । ऐसे में बहुमत के लिए 13 सदस्यों की आवश्यकता है । बहुमत के लिए 13 सदस्यों की संख्या किसी के पास नहीं है । राजद समर्थित 08 तो जद यू व भाजपा के पास संख्या 6-6 का है । एक कांग्रेस के है । ऐसे में महागठबंधन के पास 09 का आंकड़ा है जो बहुमत से चार कम है । चर्चा है कि अगर जद यू व भाजपा के खेमे एक हुआ तो उसका बोर्ड आसानी से बन सकता है । लेकिन राजनीति में सबकुछ जायज है । कब कौन कहां चला जायेगा कहना मुश्किल है । बहरहाल जिला सरकार का कौन होगा मुखिया चर्चाओं का बाज़ार गर्म है तो जोङतोङ की राजनीति आरंभ हो गयी है । फिलहाल चुनाव की तिथि निर्धारित नहीं हुई है अभी इंतजार रहेगा ।
टूट सकती पार्टी समर्थित अध्यक्षा बनाने की बंदिशें : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में विभिन्न पार्टी के समर्थित उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे और विजयी भाई हासिल किया । लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं होने के वजह से अब खेल एक अलग रूप ले सकता है । यहां पार्टी की बंदिशें खत्म होने की संभावना है । जिले के राजनीति गुरुओं का अब एक सम्मलित चेहरा की तलाश है । अब किस पर समर्थन बनता है, यह प्रकिया चल रहा है । वैसे आपको बता दें कि जिसके भी सिर पर ताज मिलेगा उसकी सरकार 5 वर्षों तक नहीं चल पाएगी । कार्यक्रम 50- 50 हो सकता है ।
नवादा से दिनेश कुमार की रिपोर्ट