NEWSPR डेस्क।देश की कई हिस्सों में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन सूर्य मकर राशी में आ जाएगा। यही मकर संक्रांति कहलाता है।सूर्य के राशी बदलने के समय को लेकर मतभेद है। इसलिए कुछ जगहों पर 14 तो कुछ जगहों पर 15 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। आज के दिन स्नान कर सूर्य देव की अराधना करते हैं। पूजा के बाद दान दिया जाता है। आज के दिन तिल के लड्डू, मूंरफली, लाई, रेवड़ी, खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने की परंपरा है।
सूर्य के राशी बदलने के समय से ही संक्रांति मनाने का निर्णय किया जाता है। इस कारण इस पर्व की तारीखों में बदलाव होता है। यही कारण है कि साल 2077 से ये 14 नहीं बल्कि 15 और 16 जनवरी को मनेगा।
14 को ही मकर संक्रांति मनाना सही
खगोल विज्ञान केंद्र से जारी हुए राष्ट्रीय पंचांग के मुताबिक सूर्य 14 जनवरी को दोपहर 02:30 पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए स्नान-दान का ये त्योहार आज ही मनाया जाना चाहिए। वहीं, बनारस, उज्जैन और अन्य शहरों के पंचांगों के अनुसार सूर्य 14 जनवरी की रात में तकरीबन साढ़े 8 पर राशि बदलेगा। इस कारण कुछ लोग 15 तारीख को स्नान-दान और पूजा-पाठ करेंगे। ज्योतिषीयों का कहना है कि परंपरा को मानते हुए स्थानीय पंचांगों के अनुसार ये पर्व दोनों दिन मनाया जा सकता है।
ऋतु पर्व है मकर संक्रांति
सूर्य के राशि बदलने से हर दो महीने में ऋतु बदलती है। मकर संक्रांति एक ऋतु पर्व है। ये हेमंत और शीत ऋतु का संधिकाल है। यानी हेमंत खत्म होने के बाद शीत ऋतु शुरू होती है। इसलिए ठंड का मौसम होने की वजह से मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा और खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की परंपरा बनाई। क्योंकि ये अन्न शीत ऋतु में शरीर के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही मौसम को ध्यान में रखते हुए इस पर्व पर गर्म कपड़ों का दान भी दिया जाता है।
बिहार के कई जगहों पर गंगा स्नान पर रोक
वहीं कोरोना के कारण बिहार के कई जगहों पर गंगा स्नान पर रोक लगी है। श्रद्धालु इस बार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे।बिहार के बक्सर,बेगूसराय,और भोजपुर में स्थानीय प्रशासन ने गांगा स्नान पर रोक लगा दी है।
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान को बक्सर के रामरेखा घाट और बेगूसराय के सिमरिया घाट पर लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा होगा। भोजपुर में गंगा और सोन में स्नान और मेला-प्रदर्शनी पर डीएम ने रोक लगा दी है। सीओ और थानाध्यक्षों को आदेश पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नदियों में नावों का परिचालन भी नहीं होगा।