NEWSPR डेस्क। भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 2008 में इसकी शुरूआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने की थी। हर साल अलग अलग थीम के साथ इस दिन को मनाया जाता है। बालिका दिवस 2021 की थीम ‘डिजिटल जनरेशन, अवर जेनरेशन’ थी। वहीं वर्ष 2020 में बालिका दिवस की थीम ‘मेरी आवाज, हमारा साझा भविष्य’ थी। इस वर्ष बालिका दिवस 2022 की थीम अभी तक घोषित नहीं की गई है। राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व बहुत अधिक है, यह बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के प्रति जागरूक करता है। इस दिन बालिका बचाओ अभियान, बाल लिंग अनुपात, और लड़कियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने जैसे संगठित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस
भले ही इस दिवस की शुरूआत 2008 से हुई हो लेकिन इतिहास पुराना है। बता दें कि 24 जनवरी, 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। जिसके चलते 24 जनवरी भारत के इतिहास में महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाने लगा। यही वजह है कि इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। बेटियों के साथ-साथ समाज को भी इस लैंगिग भेदभाव के बारे में जागरूक करना है। इस अभियान का उद्देश्य देशभर की लड़कियों को जागरूक करना है। साथ ही लोगों को यह बताना है कि समाज के निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है। इसमें सभी क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है। उन्हें जागरुक किया गया है कि लड़कियों को भी निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस
समाज में लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। महिलाओं को अपने घरों, कार्यस्थलों और दैनिक जीवन में कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लड़कियों की स्थितियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इस दिन देशभर में कई कार्यक्रम और अभियान चलाए जाते हैं। केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें भी अपने अपने राज्यों में बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाते हैं।