गजल सम्राट जगजीत सिंह जी की जयंति, जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। गजल सम्राट एवं पद्मभूषण से सम्मानित जगजीत सिंह जी की आज जयंति है। इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

बॉलीवुड में गजल सम्राट जगजीत सिंह का का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी गजल गायकी से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल में अमिट छाप छोड़ी है। जगजीत सिंह ने यूं तो अपने करियर में कई गजलों को अपनी आवाज से और भी खूबसूरत बना दिया था, लेकिन उन्होंने फिल्मी गानों से भी खूब नाम कमाया था

जगजीत सिंह का जन्म 8फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। जगजीत सिंह की रूहानी आवाज का जादू आज भी हर उम्र के लोगों पर चलता है। उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले से था। जगजीत सिंह की शुरुआती पढ़ाई गंगानगर में हुई और बाद में आगे की पढ़ाई करने के लिए वह जालंधर चले गए। जगजीत सिंह पिता सरदार अमर सिंह धमानी एक सरकारी कर्मचारी थे और संगीत में रूचि रखते थे। जगजीत सिंह को संगीत उनके पिता से ही विरासत में मिला। साल 1965 में वह मुंबई आ गए थे। इसके बाद 1967 में उनकी मुलाकात गजल गायिका चित्रा से हुई। इसके दो साल बाद 1969 में दोनों शादी कर ली।

जगजीत सिंह को करीबियों का मानना था कि उनकी गजलों में महसूस होने वाली तड़प और दुख साफ दिखने लगा था। उनकी पहली एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ साल 1976 में आई थी। जो काफी हिट साबित रही थी। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने जब फिल्मों के लिए गजल गानी शुरू की तो देखते-देखते वह हर किसी की पहली पसंद बन गए। ‘झुकी-झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं’, ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’, ‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है’, ‘होश वालों को’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘ये दौलत भी ले लो’, ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’ जगजीत सिंह की खास गजलों में से एक हैं। जगजीत सिंह ने 150 से ज्यादा एल्बम को अपनी गजलों को खूबसूरत बनाया था।

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