NEWSPR डेस्क। भारत की प्रथम महिला राज्यपाल और भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू जी की आज जयंति है। इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। साथ ही उन्होंने देश और प्रदेशवासियों को राष्ट्रीय महिला दिवस की भी शुभकामनाएं दी।
बता दें कि सरोजिनी नायडू के जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उनकी माता वरदा सुंदरी और पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय थे जो निजाम कॉलेज के संस्थापक रसायन वैज्ञानिक थे। सरोजिनी नायडू के पिता चाहते थे कि उनकी पुत्री भी वैज्ञानिक बने लेकिन ऐसा हो ना सका। सरोजिनी नायडू को कविताओं से प्रेम था और वह इस प्रेम को कभी त्याग ना सकीं। सरोजिनी नायडू ने मात्र 13 वर्ष की आयु में ही 1300 पदों की ‘झील की रानी‘ नामक लंबी कविता और लगभग 2000 पंक्तियों का एक विस्तृत नाटक लिखकर अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ का उदाहरण दिया था। सरोजिनी नायडू को शब्दों की जादूगरनी कहा जाता था। वह बहुभाषाविद थीं। वह क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेज़ी, हिन्दी, बंगला या गुजराती भाषा में देती थीं।
सरोजिनी नायडू गांधीजी से सन 1914 में लंदन में मिली। इसके बाद उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव हुआ और वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ीं। दांडी मार्च के दौरान गांधी जी के साथ अग्रिम पंक्ति में चलने वालों में सरोजनी नायडू भी शामिल थीं। उन्होंने जीवन-पर्यंत गांधीजी के विचारों और मार्ग का अनुसरण किया। आजादी की लड़ाई में तो उनका अहम योगदान था ही साथ ही भारतीय समाज में जातिवाद और लिंग-भेद को मिटाने के लिए भी उन्होंने कई कार्य किए। सरोजिनी नायडू ने मार्च 1947 में एशियाई संबंध सम्मेलन में संचालन समिति की अध्यक्षता की। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं, और वह एक स्वतंत्रता सेनानी एवं एक बढ़िया कवियत्री भी थीं। बता दें कि सरोजिनी नायडू को सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष और भारतीय राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का श्रेय प्राप्त हुआ। सरोजिनी नायडू की मृत्यु 02 मार्च, 1949 को लखनऊ में हुई। आज सरोजिनी नायडू भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण का वह चेहरा हैं जिससे सभी परिचित हैं।