NEWSPR डेस्क। देश के प्रथम राष्ट्रपति और महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की आज पुण्यतिथि है। जिसे लेकर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दी। बता दें की राजेन्द्र प्रसाद को सम्मान से ‘राजेन्द्र बाबू’भी कहा जाता है।
राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 जीरादेई (बिहार) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘महादेव सहाय’ तथा माता का नाम ‘कमलेश्वरी देवी’ था। उनके पिता संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं माता धर्मपरायण महिला थीं। राजेंद्र बाबू बचपन में जल्दी सो जाते और सुबह जल्दी उठकर अपनी मां को भी जगा दिया करते थे। अत: उनकी मां उन्हें रोजाना भजन-कीर्तन, प्रभाती सुनाती थीं। इतना ही नहीं, वे अपने लाडले पुत्र को महाभारत-रामायण की कहानियां भी सुनाती थीं और राजेंद्र बाबू बड़ी तन्मयता से उन्हें सुनते थे।
राजेंद्र बाबू की प्रारंभिक शिक्षा छपरा के स्कूल से हुई थीं। उन्होंने महज 18 वर्ष की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की और फिर कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वे हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा से पूरी तरह परिचित थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था।
राजेंद्र बाबू ने भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू होने पर देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार संभाला। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा। 1962 में अवकाश प्राप्त करने पर उन्हें ‘भारतरत्न’ की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित भी किया गया था।