NEWSPR डेस्क। औरंगाबाद में छोटे बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ना सपने जैसा हो गया है। बच्चे पढ़ तो रहे हैं लेकिन उनको कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण है कि शहर के 673 विद्यालय ऐसे हैं जो कि भवनविहीन हैं। बच्चे कभी झोपड़ी में पढ़ते नजर आते तो कभी यात्री शेड में। कहीं कहीं तो बच्चे कला मंच पर भी किताब खोलकर अध्यन कर लेते।
बता दें कि शहर में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। अरबों रुपए खर्च होने के बाद भी जिले में कुल 673 सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जिनका अपना भवन नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में नामांकित बच्चों की पढ़ाई कैसे होती होगी, आसानी से समझा जा सकता है। कहीं 12 बाई 10 के यात्री शेड में बच्चे पढ़ते नज़र आ जायेंगे तो कहीं गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिये बने स्टेज पर बैठ कर बच्चे अपनी किस्मत संवारते दिख जायेंगे। यहां न तो इनके बैठने का कोई इंतज़ाम होता है न ही कोई अन्य सुविधा ।
वहीं इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकांश जमीन की अनुपलब्धता की वजह से भवनविहीन हैं। उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से इन विद्यालयों के लिये ज़मीन की तलाशी का काम किया जा रहा है। उन्होंने 74 स्कूलों की ज़मीन चिन्हित कर लिये जाने की जानकारी दी और कहा कि सरकार के पास भवन निर्माण के लिए फण्ड अलॉटमेंट का प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बड़ी संख्या में बच्चों की उपस्थिति शिक्षा के प्रति उनकी ललक को दर्शाती है और जिम्मेवारों को इशारा करती है। यदि इन बच्चों को मूलभूत शैक्षणिक सुविधा भी मुहैय्या करा दी जाए तो वे अपना भविष्य जरूर संवार लेंगे।
औरंगाबाद से रूपेश की रिपोर्ट