NEWSPR डेस्क। मुंगेर गंगा तटों पर लगातार मगरमच्छ या घड़ियाल दिख रहे हैं। गंगा स्नान करने वालों या गंगा तट पे बसे लोगों में इसकी वजह से खौफ का माहौल है। लोगों को इस बात का डर है कि कहीं मगरमच्छ उन पर हमला न कर दे। वहीं वन अधिकारी ने कहा कि गंगा में मगरमच्छ का दिखना एक अच्छी खबर है । लोग इससे डरे नहीं, इसको मारे नही ये लोगों को नुकसान नही पहुंचाता है।
गंगा नदी का तट लगभग 56 किलो मीटर है और इन तटों पे कई गांव और मोहल्ले के अलावा कई गंगा घाट बने है। जहां लोग स्नान करने जाते है। इधर लगभग 6 माह से गंगा में मगरमच्छ, घड़ियाल के लगातार देखे जाने से लोगों भय का वातावरण फैल गया हैं। मगरमच्छ यदाकदा गंगा के तटों पे धूप सेकते दिख जाते हैं। या गंगा में विचरण करते दिख जाते है।
जिससे गंगा तटों पर बसे लोग स्वयं और अपने बच्चों को वहां खेलने नहीं जाने दे रहे। लोगों ने बताया कि मगरमच्छ रोजाना किसी न किसी जगह दिख ही जाते है। जिससे उन्हें काफी भय लगता है। मछुआरों ने बताया कि मछली मारने के क्रम में कई बार उनके नाव के पास से भी मगरमच्छ को जाते देखा और करीब 6 से 7 मगरमच्छ मुंगेर के गंगा नदी में विचरण करता रहता है।
गंगा और गंडक में आए भयंकर बाढ़ से कई जगहों पे ये एक दूसरे से मिल जाती और इस कारण गंडक में रहने वाले मगरमच्छ और घड़ियाल गंगा में आ जाते और पानी उतरने के बाद ये वापस नहीं जा पाते हैं। जिससे वे गंगा को ही अपना घर बना लेते। वन प्रमंडल पदाधिकारी गौरव ओझा ने इस मामले में बताया कि आज से काफी पहले मगरमच्छों का घर गंगा ही हुआ करता। पर बीच में गंगा के दूषित होने से इनकी संख्या काफी कम गई थी।
मुंगेर गंगा नदी में मगरमच्छ का दिखना ये बताता है की गंगा का इको सिस्टम अब ठीक हो रहा हैय़ गंगा अब स्वक्ष हो रहा है। जिस कारण गंगा से विलुप्त जानवर अब गंगा में दिखने लगे हैं। इसके साथ ही मगरमच्छ गंगा में सड़े गले शव को खा गंगा को स्वक्ष और निर्मल करने में काफी मददगार साबित होता है।
मुंगेर से मो. इम्तियाज की रिपोर्ट