छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना आज, जानें इसका क्या हैं महत्व

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। नहाय खाय के साथ कल से चैती छठ महापर्व की शुरूआत हो गई है। हिंदू केलंडर के अनुसार  यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह और दूसरा कार्तिक मास में छठ पर्व मनाया जाता है। ये पर्व चार दिनों का होता है। 7 अप्रैल को सायं कालीन अर्ध्य एवं 8 अप्रैल को प्रातः कालीन और सहित पारण के साथ चैती छठ पूजा का समापन होगा।

आज छठ का दूसरा दिन यानी खरना है। खरना को लोहंडा भी कहते हैं। छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है। नहाय-खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं।  जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखती हैं। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। हालांकि शहरी इलाकों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं। पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है।

खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है। पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है। मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देते है। व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद  ही परिवार के अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद ही भोजन करता है। खरना के बाद से ही व्रती 36 घंटे का निरजला व्रत रखते हैं। शुक्रवार को सुबह अर्घ्य समर्पित करने के बाद व्रती पारण करेंगी।

 

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