NEWSPR डेस्क। आज पूरे देशभर में रामनवमी की धूम है। सभी हर्षेल्लास के साथ इस पर्व को मना रहे है। आज चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है। इसी के साथ आज ही नवरात्रि के समापन की तिथि है। चैत्र नवमी शुक्ल पक्ष तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के लोग हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं।
कहते हैं रामजी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, तो इसी वजह से रामनवमी का अनुष्ठान दोपहर के वक्त किया जाता है। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है और सबसे आखिर में रामनवमी मनाई जाती है। इस दिन घरों और मंदिरों में पूरे विधि विधान से भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना होती है।
पौराणिक मान्यताओं में ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम विष्णुजी के सातवें अवतार थे। त्रेता युग में धरती पर आसुरी शक्तियों का प्रकोप और अत्याचार बढ़ गया तो श्रीहरि ने राजा दशरथ और माता कौशल्या की संतान के रूप में जन्म लिया था। यह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी ही थी। धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन दांव पर लगा दिया और अच्छे आचरण का उदाहरण पेश करने के लिए उन्होंने खुद को आदर्श पुरुष के रूप में पेश किया। यही वजह है कि उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरात कहा जाता है। कठिन वक्त में भी भगवान राम ने धर्म का साथ नहीं छोड़ा और समाज के सामने खुद को उत्तम पुरुष के रूप में साबित किया।
राम नवमी की पूजाविधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर साफ सुथरा कर लें। रामजी की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य होगा।
लकड़ी की एक चौकी लें, जिस पर लाल कपड़ा बिछा लें और उस पर राम दरबार की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल की छीटें दें और चावल से अष्टदल बनाएं। अष्टदल पर तांबे का कलश रखें और उस पर चौमुखी दीपक जला दें। आप चाहें तो रामलाल की मूर्ति को पालने में झुला लें और राम आरती करें या फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद खीर, फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
इस दिन आप राम की भक्ति में डूबकर कीर्तन कर सकते हैं। रामचरित मानस और राम स्त्रोत का भी पाठ किया जा सकता है। साथ ही शाम के समय राम कथा भी सुनें।रामनवमी का उपवास रखने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ शांति भी आती हैं और भगवान राम का आशीर्वाद मिलता है।