NEWSPR डेस्क। बिहार में अपराध बढ़ते ही जा रहा है। हर रोज अपराधिक घटना को अंजाम देने से अपराधी बाज नहीं आ रहे हैं। लूट, डकैती, हत्या जैसे घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती देते हैं। आम लोगों की बात छोड़िए, जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं है। 2 दिन पहले सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड के खजूरी पंचायत के मुखिया रंजीत शाह को अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया। हालांकि हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है परंतु इस घटना के के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। पिछले वर्ष पंचायत चुनाव के बाद से लगातार मुखिया की हत्या हो रही है। पिछले 8 महीने में 8 मुखिया की हत्या हो चुकी है।
भागलपुर में सुल्तानगंज प्रखंड के कुमैठा पंचायत की मुखिया अनीता देवी की हत्या का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और मुखिया की हत्या हो गई। इससे पहले मुंगेर में मुखिया परमानंद टुडू की हत्या कर दी गई थी। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। पंचायत चुनाव के बाद मुखिया की हत्या का ग्राफ बिहार में तेजी से बढ़ रहा है। सिर्फ मुखिया ही नहीं बल्कि अन्य पंचायत प्रतिनिधियों और वार्ड सदस्यों की भी हत्या हो रही है। हत्या के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बिहार में करीब हर महीने एक मुखिया की हत्या हो रही है।
आपको बता दें कि पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद मुंगेर के नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड के अजीमगंज पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया परमानंद टुडु की हत्या कर दी गई थी। गोपालगंज जिले के थावे थाना क्षेत्र की धतिवना पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया सुखल मुसहर की हत्या भी अपराधियों ने कर दी थी। पटना जिला के पंडारक पूर्वी से जीते प्रियरंजन कुमार उर्फ गोरेलाल की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ प्रखंड स्थित रामपुर फरीदपुर पंचायत के मुखिया नीरज कुमार की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
वहीं, जमुई के अलीगंज प्रखंड अंतर्गत दरखा पंचायत के मुखिया जयप्रकाश प्रसाद उर्फ प्रकाश महतो की पिछले साल दिसंबर में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। भोजपुर जिला के चरपोखरी प्रखंड के बाबूबाद पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया संजय सिंह को एंबुलेंस में सवार अपराधियों ने गोलियों से भून दिया था। उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। वहीं, हाल ही में भागलपुर के कुमैठा पंचायत के मुखिया अनीता देवी को बदमाशों ने मौत के घाट उतार दिया। उनके शव को फंदे से लटकाकर सुसाइड केस बनाने की कोशिश की गई थी।
दरअसल, बिहार में पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले बदस्तूर जारी हैं। सरकार की ओर से लाख आश्वासन के बावजूद एक के बाद एक हत्याएं हो रही हैं।। सवाल यह उठता है कि पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कई बार जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा का मामला उठाया है। उन्होंने मुखिया को सुरक्षा गार्ड और हथियार का लाइसेंस भी देने की बात कही है। उसके बावजूद मुखिया की लगातार हत्या हो रही है। बिहार पुलिस मुख्यालय की मानें तो इनमें से कई मामलों का खुलासा हो चुका है. जनप्रतिनिधियों और मुखियों की हत्या को लेकर पुलिस मुख्यालय भी गंभीर है. पुलिस मुख्यालय का कहना है कि ज्यादातर मामलों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की बात सामने आयी है।