प्रेम विवाह करने पर घर से निकाले गए थे प्रेमी युगल,वर्दी में लौटी बहू तो ससुरवालों ने उतारी आरती

Patna Desk

 

NEWSPR डेस्क। नवादा में प्रेम विवाह करने के बाद प्रेमी युगल परिवार का विरोध झेल रहा था। लेकिन जब बहू वर्दी में लौटी तो ससुरवालों ने उसका स्वागत आरती उतारकर किया। दरअसल, नवादा के दीपक और गया की सुगम जब परिजनों को बिना बताए सात फेरे ले लिए तो आगे की राहें काफी मुश्किल हो गई थी। घर के दरवाजे बंद हो गए थे। दोनों घर से दूर रहने लगे और अपनी मंजिल की तलाश में लगे। इसी बीच सुगम SSB जीडी क्वालीफाई कर गई। अब ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। पोस्टिंग भी हो गई है। नौकरी ज्वाइन करने के बाद घर लौटी तो घर परिवार में स्वागत आरती-मंगल के साथ किया गया। यह पूरा मामला जिले के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के डेल्हुआ गांव का है। इस तरह प्रेम विवाह करने के बाद जिस स्तर से ससुराल वालों ने स्वागत किया, उसका श्रेय उसके वर्दी को जाता है। यदि सुगम को एसएसबी में नौकरी नहीं मिलती तो शायद ससुराल में इस तरह आवभगत नहीं होता।

सुगम और दीपक की प्रेम कहानी

डेल्हुआ गांव निवासी मुकेश प्रसाद का पुत्र दीपक कुमार ने गया जिले के टनकुप्पा निवासी अनिल साव की पुत्री सुगम गुप्ता से प्रेम विवाह रचा लिया था। वर्ष 2018 में दोनों की मुलाकात गया शहर के एक कोचिंग सेंटर में हुई थी। दोनों कोचिंग सेंटर में साथ-साथ पढ़ाई करते थे। पढ़ाई के दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई, जो प्यार में तब्दील हो गया। वैसे तो दोनों अलग-अलग जाति के थे, बावजूद अंतरजातीय प्रेम विवाह रचाया। इस बात की जानकारी जब परिजनों को मिली तब दोनों के परिवार इस शादी से नाखुश रहे और विरोध भी करते रहे। लेकिन दोनों का प्रेम विवाह उस वक्त समाज और परिवार के लिए मिसाल बन गया, जब प्रेमिका बनी बहू को एसएसबी में नौकरी लग गयी। फिर क्या था दोनों परिवार वालों के सभी गिला-शिकवा दूर हो गया और इस शादी को रजामंदी भी मिल गई। वर्दी में जब बहू पहली बार ससुराल की दहलीज पर कदम रखी, तब ससुराल वाले ही नहीं बल्कि गोविंदपुर विधायक मो. कामरान और पूर्व उप प्रमुख रेखा देवी सहित पूरा गांव स्वागत में जुट गये।

बता दें कि सुगम ने विवाह करने के बाद भी प्रतियोगिता की तैयारी में जुटी रही, फलतः उसने अपनी लगन और मेहनत से नौकरी हासिल कर समाज के लिए मिसाल बन गई। सुगम गुप्ता नौकरी मिलने के बाद असम के सलोनीबाड़ी में 11 माह तक ट्रेनिंग किया। इसके बाद बहराइच में पोस्टिंग मिली है। अभी नौकरी में ड्यूटी ज्वाइन किये तीन-चार दिन ही हुआ था कि उसने ड्यूटी से छूट्टी लेकर पति के साथ ससुराल आयी। जहां घर-परिवार से लेकर गांव-टोले की महिलाओं ने आरती-मंगल कर स्वागत किया। सुगम बताती हैं कि कुछ माह कठिनाईयों से जरूर बीता, परंतु जैसे ही हमारी नौकरी लगी सबकुछ ठीक हो गया। गौरतलब हो सुगम गुप्ता का यह संघर्ष सूर्यवंशम फिल्म के जैसा सामने आया है।

नवादा से सुरेश राय की रिपोर्ट

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