NEWSPR डेस्क। जदयू के राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर घमासान मची हुई है। कौन बनेगा उम्मीदवार यह कह पाना किसी के लिए टेढ़ी खीर नजर आ रही है। क्योंकि जदयू भी दो खेमें में जो बंट गई है तो जाहिर सी बात है कि सियासत भी कुछ अलग तरीके से ही होगी और कैंडिडेट का चुनाव भी अपने ही तरीके से किया जाएगा।
बता दें कि जदयू के दो एमएलसी उम्मीदवार कौन होंगे – इसे लेकर जदयू का शीर्ष नेतृत्व मंथन में डूबा है। जदयू के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी फैसला लेना आसान नहीं है। अगर भाजपा से सीट को लेकर तकरार नहीं होती है तो जदयू को एमएलसी की दो सीटें मिल सकती हैं। लेकिन तब भी संकट है कि जदयू के अंदर कई दावेदार हैं, जिनमें से दो का चुनाव करना जदयू के लिए बहुत मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
जदयू के लिए दो उम्मीदवार का चयन करना इसलिए भी आसान नहीं होगा कि राजद के 5 एमएलसी को जब जदयू ने तोड़कर मिला लिया था, उस वक्त उन्हें भरोसा भी दिलाया गया था कि उनका खयाल रखा जाएगा। ऐसे में उनकी दावेदारी भी कमजोर नहीं पड़ती दिख रही है। इनमें से एक तो दोबारा एमएलसी का चुनाव जीत चुके हैं और दूसरे को टिकट मिला था, लेकिन वे हार गए।
जदयू से जो 5 सीटें खाली हो रही है, उनमें 3 मुस्लिम एमएलसी हैं। इसलिए भी एक सीट पर मुस्लिम दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। जदयू के सूत्र बताते हैं कि जदयू किसी एक अतिपिछड़ा या कुशवाहा को भी एमएलसी का टिकट दे सकता है। इन्हीं सब हलचल के बीच जदयू के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के साथ क्या चर्चा हुई और मुख्यमंत्री के साथ ललन और उमेश कि क्या मंथन हुई यह तो नतीजा आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।