अनुकंपा पर नौकरी के लिए सालों से भटक रहे लोग, 10-12 वर्षों से काट रहे चक्कर

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। किसी भी घर में यदि कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए तो समझा जा सकता है कि उस घर की माली हालत क्या होगी और परिवार के अन्य सदस्य पहाड़ जैसे जीवन की गाड़ी कैसे खींच पा रहे होंगे. ऐसी स्थिति में उस परिवार को चलाने के लिए एक अदद नौकरी की बेहद आवश्यकता होती है. लेकिन सरकार के नियमों के मकड़जाल में फंसकर आश्रित इधर उधर भटकने को मजबूर हैं।

औरंगाबाद में अनुकंपा पर नौकरी के ऐसे लगभग 95 ऐसे मामले जहां आश्रित नौकरी की चाहत में विगत 10 से 12 वर्षों से कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। बुधवार को औरंगाबाद समाहरणालय परिसर स्थित जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में ऐसा ही मामला देखने को मिला। जहां पंचायती राज पदाधिकारी के सामने अनुकंपा के आधार पर नौकरी की योग्यता रखने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई थी और वे उनसे अपने नियुक्ति की मांग कर रहे थे।

आश्रितों ने बताया कि पिछले 10-12 वर्षों से वे लोग अनुकंपा पर नौकरी की आस में दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन नौकरी तो दूर कोई उनकी बात को समझने के लिए तैयार नहीं है। अब स्थिति यह हो गई है कि घर गृहस्ती चलाना मुश्किल हो गया है। इधर इस संबंध में पंचायती राज पदाधिकारी मंजू प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अनुकंपा पर नौकरी पाने वालों की संख्या काफी है।

परंतु उसके आलोक में रिक्तियां बेहद ही कम है। विभागीय आदेश के अनुसार उन लोगों को चतुर्थ वर्ग में ही बहाल किया जा सकता है। परंतु रिक्त पद नहीं होने के कारण उनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले की योग्यता शिक्षक बनने की होगी और वह पात्रता रखते हैं सुनिश्चित है उन्हें शिक्षक के पद पर बहाल किया जा सकता है।

औरंगाबाद से रूपेश की रिपोर्ट

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