देश की सियासत के लिए तुरुप का पत्ता साबित होते रहे हैं लालू
NEWSPR डेस्क। अपने चुटीले अंदाज में सियासत के हर दांव को खेलने वाले लालू प्रसाद यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं। मुख्यमंत्री, रेल मंत्री से लेकर अपनी पत्नी और बच्चों को सियासी पाठ पढाकर सत्ता के गलियारे में सेट करने के लिए चर्चा में रहे हैं तो कई साधारण लोगों की भी तकदीर को बदलने में किंग साबित होते रहे हैं। जेपी के चेले लालू प्रसाद ने 1990 के दौर में दिल्ली की गद्दी पर वीपी सिंह को बैठाना हो या फिर एच डी देवेगौडा, आई के गुजराल हों या फिर उसी बीच चन्द्रशेखर जी हों पीएम बनाने में लालू किंग मेकर जरूर बने। अगर यकीन नहीं होता तो याद दिला दूं कि मुलायम सिंह यादव ने लालू से पंगा क्या लिया देश के सबसे बड़े प्रॉविंस के होते हुए भी पीएम नहीं बन पाए और न ही देश मे लालू की जगह ही ले पाए और लालू प्रसाद एमवाई समीकरण पर राजनीति करते रहे।
लालू का कार्यकाल
लालू प्रसाद यादव बिहार से सक्रिय राजनेता हैं। वे राष्ट्रीय जनता दल और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के अध्यक्ष हैं। उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान रेल मंत्री के रूप में भी कार्य किया। पटना विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा के दौरान, लालू यादव छात्र राजनीति में आ गए। वे 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य के रूप में चुने गए थे। वे 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन चारा घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 1997 में इस्तीफा दे दिया।
चारा घोटाला मामले के आरोपी लालू यादव
2013 में लालू यादव को सीबीआई अदालत द्वारा पहले चारा घोटाले में शामिल होने के लिए पांच साल की सख्त कारावास और 25 लाख जुर्माना लगाया गया था। उन्हें तीसरे चारा घोटाले में भी दोषी पाया गया था। दूसरे चारा घोटाले में उन्हें 3.5 साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी। वे तीसरे चारा घोटाले के मामले में दोषी पाए गए थे। सीबीआई अदालत ने चौथे चारा घोटाले के मामले में उन्हें दोषी ठहराया जो कि दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से संबंधित है। इस मामले में लालू यादव पर 14 साल की कारावास के साथ 60 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया।
लालू की शिक्षा
पटना विश्वविद्यालय के बी.न कॉलेज से एलएलबी और राजनीति विज्ञान में मास्टर पूरा करने के बाद लालू यादव बिहार पशु चिकित्सा कॉलेज, पटना में क्लर्क के रूप में काम करते थे। उनके बड़े भाई इसी कॉलेज में एक चपरासी थे। लालू के कुल छह भाई बहन हैं। लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के 9 बच्चे हैं: दो बेटे और 7 बेटियां। फुटबॉल, कुश्ती, क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन और अन्य इनडोर खेलों में इन्हें रुचि हैं। वे 2001 में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। वे छपरा और पटना में खेल क्लबों से जुड़े हुए हैं।
1990 के दशक में हुई थी उनके कार्य की तारीफ
बाद में 23 सितंबर 1990 को लालू ने राम रथ यात्रा के दौरान अयोध्या में समस्तीपुर में एल के आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया और खुद को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्हें 2004 में पटना विश्वविद्यालय के मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था। विश्व बैंक ने 1990 के दशक में आर्थिक मोर्चे पर उनके काम की सराहना की। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि लालू के करिश्मा 1990 के दौर वाला प्रभाव डाल पायेगा या फिर कोई नया समीकरण उभरकर सामने आएगा।