बाबा मणिराम लंगोट मेले की कल से होगी शुरुआत, लंगोट चढ़ाकर बाबा को किया जाता है प्रसन्न

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। बिहारशरीफ के पिसत्ता घाट स्थित बाबा मणिराम की समाधि..दुनिया की शायद यह पहली समाधि है। जहां लंगोट अर्पित करने की परंपरा है। इस परंपरा की शुरुआत के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहा जाता है पटना के अबकारी विभाग के अधिकारी कपिल देव प्रसाद पुत्र रत्न की चाहत में देश के हर धार्मिक स्थल में मत्था टेक चुके थे। लेकिन चाहत पूरी नहीं हुई।

अंतत: बाबा की समाधि पर आकर मन्नतें मांगी। कहा जाता है उसी वर्ष उन्हें पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति की खुशी में उन्होंने 6 जुलाई 1952 को गुरु पूर्णिमा के दिन बाबा मणिराम की समाधि पर पहला लंगोट चढ़ाया। इसके बाद से ही यहां लंगोट चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। मालूम हो कोरोना काल की पाबंदी के कारण दो वर्षों तक समाधि स्थल पर मेले का आयोजन नहीं हो सका था।

कोरोना काल के बाद मेले को लेकर इस साल लोगों में खासा उत्साह है। अखाड़ा पर न्यास समिति के सचिव अमरकांत भारती ने बताया कि 13 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन लंगोट अर्पण के साथ मेले का उद्घाटन होना है। इसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। बता दें कि सबसे पहला लंगोट प्रशासन की ओर से चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि वर्ष 1300 में बाबा जगत से विदा हो गये।

उन्होंने जीवित समाधि ली थी। कालांतर में उनके अनुयायी बाबा के समाधि स्थल पर मंदिर बनाकर पूजा करने लगे। बाबा की समाधि के बगल में उनके चार शिष्यों की भी समाधियां हैं। इनमें अयोध्या निवासी राजा प्रहलाद सिंह व वीरभद्र सिंह तथा बिहारशरीफ निवासी कल्लड़ मोदी और गूही खलिफा की समाधि है।यहां बिहार बंगाल ओड़िसा समेत कई जगहों से आकर लंगोट चढ़ाते है और अपनी मन्नत पूरी करते है।

ऋषिकेश संवाददाता नालंदा

Share This Article