NEWSPR डेस्क। बिहार सरकार ने सचिवालय के विकास भवन में कार्यरत महिलाकर्मियों और पदाधिकारियों के छोटे बच्चों की समुचित देखभाल और उनकी सुविधाओं का ख्याल रखते हुए मॉडल पालनाघर (क्रेच) की शुरुआत की है । बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने इस क्रेच का उद्घाटन महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक की उपस्थिति में किया।
महिला और बाल विकास निगम के द्वारा इसकी स्थापना और इसके संचालन के लिए लिए कर्मी उपलब्ध करवाएं गए हैं। इसके देखभाल की जिम्मेदारी सम्बंधित विभाग की होगी। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि बिहार सरकार जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के द्वारा कई कदम उठाए गए हैं कि महिलाओं को किसी भी प्रकार से लैंगिक भेदभाव अथवा नुकसान का सामना न करना पड़े।
अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ क़दमों से एक क्रेच खोलना है। पालनाघर की स्थापना एवं संचालन से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एवं सुरक्षित देखभाल उपलब्ध कराया जा सकेगा, साथ ही कामकाजी माताएं भी कार्य अवधि के दौरान बच्चों के देखभाल की चिंता से मुक्त रहेंगी। महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि वर्तमान में महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा दो पालनाघर समाज कल्याण विभाग एवं कारा विभाग में चलाए जा रहे हैं।
जहाँ यह पूर्ण क्षमता में चल रहा है। क्रेच को खोल कर महिला कर्मियों के मांगों को पूरा किया गया है। पालनाघर में 05 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध होता है। विभिन्न रिसर्च के अनुसार 7 वर्ष की उम्र तक बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित हो जाता है। इसे ध्यान में रख कर इन मॉडल पालनाघरों में बच्चों को खेलों, चित्रों के माध्यम से सिखाने एवं विभिन्न प्रकार के खेल और खिलौनों की सुविधा मुहैया करवाई गई है। जिससे उनके व्यक्तित्व निर्माण होने के साथ ही उनमें सीखने की क्षमता भी विकसित होती है।
सभी राज्य सरकार के विभागों और संगठनों को जिनके पास 25 से अधिक महिला कर्मचारी हैं उन्हें अपने कार्यालय में एक क्रेच खोलने के लिए पत्र लिखा जाना चाहिए। मॉडल पालनाघरों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास निगम को काफी विभागों, कार्यालयों से पालनाघर की स्थापना के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट 2017 के अनुसार जहाँ भी 25 से ज्यादा महिलाकर्मी कार्यरत हैं, वहां नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि पालनाघर की स्थापना की जाए। आने वाले 6 माह में निगम का लक्ष्य 50 पालनाघरों की स्थापना करवाने की है ।