NEWSPR डेस्क। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में मदनलाल ढींगरा का स्थान अप्रतिम है। आज उनकी जयंती है जिसे लेकर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उनको नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी है। एक संपन्न परिवार को जन्म लेने और लंदन में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे मदनलाल ढींगरा के लिए देश की आजादी सर्वोपरि थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चिनगारी को अग्नि में बदल दिया।
पंजाब प्रान्त के अमृतसर जिले के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में 18 सितंबर सन 1883 को जन्मे मदनलाल ढींगरा के पिता दित्तामल सिविल सर्जन थे और उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। मदनलाल ढींगरा इंग्लैण्ड में अध्ययन करने गये थे लेकिन देश भक्ति के रंग में ऐसे रंग गए कि उन्होनें अंग्रेज अधिकारी विलियम हट कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर मुकदमा चलाया गया। 23 जुलाई 1909 को ढींगरा मामले की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट में हुई।
अदालत ने उन्हें मृत्युदण्ड का आदेश दिया और 17 अगस्त सन 1909 को लन्दन की पेंटविले जेल में फाँसी पर लटका कर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी गयी। मदनलाल मर कर भी अमर हो गये। मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि “मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं।