NEWSPR DESK- वाल्मीकि एक डाकू थे और भील जाति में उनका पालन पोषण हुआ, लेकिन वे भील जाति के नहीं थे, वास्तव में वाल्मीकि जी प्रचेता के पुत्र थे. पुराणों के अनुसार प्रचेता ब्रह्मा जी के पुत्र थे. बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था, जिस कारण उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ और वे डाकू बने.
कैसे मिली रामायण लिखने की प्रेरणा ?
जब रत्नाकर को अपने पापो का आभास हुआ, तब उन्होंने उस जीवन को त्याग कर नया पथ अपनाना, लेकिन इस नए पथ के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था. नारद जी से ही उन्होंने मार्ग पूछा, तब नारद जी ने उन्हें राम नाम का जप करने की सलाह दी.
रत्नाकर ने बहुत लम्बे समय तक राम नाम जपा पर अज्ञानता के कारण भूलवश वह राम राम का जप मरा मरा में बदल गया, जिसके कारण इनका शरीर दुर्बल हो गया, उस पर चीटियाँ लग गई.
शायद यही उनके पापो का भोग था. इसी के कारण इनका नाम वाल्मीकि पड़ा. पर कठिन साधना से उन्होंने ब्रह्म देव को प्रसन्न किया, जिसके फलस्वरूप ब्रम्हदेव ने इन्हें ज्ञान दिया और रामायण लिखने का सामर्थ्य दिया, जिसके बाद वाल्मीकि महर्षि ने रामायण को रचा. इन्हें रामायण का पूर्व ज्ञान था.