News PR Live
आवाज जनता की

आज दिया जाएगा सूर्य को संध्या अर्घ्य, जानिए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के नियम।

- Sponsored -

- Sponsored -

 

छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि आज दिया जाएगा। यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है।

Chhath puja: वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है, लेकिन इससे दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को आज दिया जाएगा । यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है। संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है, लम्बी आयु मिलती है और आर्थिक सम्पन्नता आती है। इस समय का अर्घ्य विद्यार्थी भी दे सकते हैं। इससे उनको शिक्षा में भी लाभ होगा। इस बार छठ का पहला अर्घ्य आज रविवार (19 नवंबर को) दिया जाएगा।

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के नियम

अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें कुछ बूंदें कच्चा दूध मिलाएं। इसी पात्र में  लालचन्दन, चावल, लालफूल और कुश डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए। इस समय अपनी दृष्टि को कलश की धारा वाले किनारे पर रखेंगे तो सूर्य का प्रतिबिम्ब एक छोटे बिंदु के रूप में दिखाई देगा एवं एकाग्रमन से देखने पर सप्तरंगों का वलय नजर आएगा। अर्घ्य के बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर तीन परिक्रमा करें। टोकरी में फल और ठेकुवा आदि सजाकर सूर्यदेव की उपासना करें। उपासना और अर्घ्य के बाद आपकी जो भी मनोकामना है, उसे पूरी करने की प्रार्थना करें। प्रयास करें कि सूर्य को जब अर्घ्य दे रहे हों, सूर्य का रंग लाल हो। इस समय अगर अर्घ्य न दे सके तो दर्शन करके प्रार्थना करने से भी लाभ होगा।

 

सूर्य को अर्घ्य देने का फल

सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है – प्रातः , मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है। मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है। सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।

*मंत्र*

 

- Sponsored -

- Sponsored -

सूर्य को अर्घ्य देते समय करें इन मंत्रों का जाप करने से पूजा के लाभ में वृद्धि होगी।

 

ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते अनुकम्पयमां भक्त्यागृहणार्ध्यदिवाकर:।।

 

*ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।*

 

19 को सूर्य के अस्त होने का समय 5: बजकर 22 मिनट है।

वैदिक पंचांग के अनुसार छठ के तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 19 नवंबर 2023 आज रविवार को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर सूर्यास्त होगा।

छठ पूजा के तीसरे दिन का महत्व

छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय लोग नए वस्त्र पहन कर परिवार के साथ घाट पर आते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं और संतान की लंबी उम्र की कामना करती है पर संध्या अर्घ्य का समय

परिवार और संतान की लंबी उम्र की कामना

इस दिन व्रत रखने वाले लोग अपने परिवार और बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाले लोगों के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.