पटना डेस्कः राज्य में कोरोना मरीजों की ठीक होने का प्रतिशत दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर है। जिसको लेकर नीतीश सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन सरकार की इस उपलब्धि पर तेजस्वी यादव ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्विटर पर किए पोस्ट में लिखा है कि कोरोना काल में देश की सबसे अक्षम बिहार सरकार 12 करोड़ बिहारियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
एक के बाद एक तीन ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है कि चार महीने बाद भी बिहार कोरोना जाँच में सबसे पीछे है। संक्रमण बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। कोई नया कोविड अस्पताल नहीं बन पाया, ना ही रैंडम sampling हो रही है। सरकार ने जाँच नहीं तो केस नहीं का फ़ॉर्म्युला अपना रखा है।
दावा दस हजार टेस्ट का, हो रहे पांज हजार से भी कम
तेजस्वी ने कहा है कि हमने शुरू से ही आगाह किया की जाँच की गति और दायरा बढ़ाया जाए। सीएम ने वादा किया की 10 हज़ार जाँच प्रतिदिन किए जाएँगे। मुख्यमंत्री जी ने कुछ हफ़्ते पहले PM को 20 हज़ार जाँच करने का भरोसा दिलाया। हक़ीक़त ये है कि बिहार जैसे प्रदेश में आज भी औसत जाँच 5 हज़ार से कम है। आपदाकाल में झूठ बोलना महापाप है। कम जाँच करने के पीछे सीएम की मंशा कम संक्रमण दिखाने की है लेकिन इससे ख़तरा आमजनों को है। आँकड़ों की बाज़ीगरी से सरकार वास्तविकता छुपा सकती है लेकिन विस्फोटक होती स्थिति को काबू करने का कोई उपाय नहीं है। बिहार में कुल जाँच में पॉज़िटिव मरीजों का प्रतिशत 4.48 है जो कि ख़तरे की घंटी है।