नई दिल्ली। हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर’ भारत बनाने के दावों को ‘पाखंड’ कहा है। अदालत ने कहा कि अगर सरकार लोकल आंत्रप्रेन्योर्स को प्रमोट नहीं कर सकती तो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ होने के दावे ‘पाखंड’ लगते हैं। अदालत रीजनल एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग ऑपरेशंस के टेंडर की शर्तों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं ने योग्यता के पैमानों को चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि एक तरफ से सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की बात करती है और दूसरी तरफ ऐसे टेंडर जारी करती है जिससे छोटे संस्थान रेस से बाहर हो जाते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे ज्यादा चिढ़ होती है कि अगर आप इन लोगों यानी छोटी कंपनियों को बाहर ही करना चाहते हैं तो साफ कह दीजिए। अपने भाषणों में इतना पाखंडी मत होइए।
आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया की बात करता है, आत्मनिर्भर भारत की बात करता है, वो लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने की बात करते हैं लेकिन आपके काम आपकी बातों से मेल नहीं खाते। आप पूरी तरह से पाखंड कर रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिटिर जनरल संजय जैन से कहा कि वे मसले पर सरकार से निर्देश लेकर स्थिति साफ करें। कोर्ट ने टेंडर का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कंपनी के सालाना 35 करोड़ टर्नओवर और शेड्यूल्ड एयरलाइंस के साथ काम करने के अनुभव की मांग की गई है।
कोर्ट ने कहा कि हम कह रहे हैं कि इस देश या उस देश से इम्पोर्ट कर देते हैं और दूसरी तरफ हम अपने कारोबारियों के मदद भी नहीं कर पा रहे। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप लोग बड़ी जेबों वाले बड़े खिलाड़ियों को चाहते हैं, शायद विदेशी डील्स भी आएंगी।कोर्ट ने कहा कि छोटी कंपनियां रीजनल एयरपोर्ट्स पर काम कर सकती थीं जहां पर शेड्यूल्ड फ्लाइट्स कम हैं या नहीं ही हैं।