बबलू उपाध्याय
बक्सरः जिले के सदर अस्पताल में एक महिला द्वारा ट्रे में अपने नवजात बच्चे के शव लेकर जाते हुए एक तस्वीर सामने आई थी। इस फोटो के सामने आने के बाद सदर अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं। अब अस्पताल की किरकिरी होते देख खुत जिले के सिविलसर्जन डॉ जितेन्द्र नाथ आज बक्सर सदर अस्पताल में दर दर भटकते बच्चे के परिजन मामले में पहली बार मीडिया के सामने आ कर सफाई दी। उन्होंने कहा कि अस्पताल आने से पहले ही बच्चे की मौत हो गई थी।
सीएस ने कहा कि फोटो में बच्चे का पिता जिस तरह का सिलेंडर लेकर जा रहा है, उतना छोटा सिलेंडर अस्पताल में प्रयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी प्राइवेट नर्सिंग होम वाले दलालो ने सदर अस्पताल को बदनाम करने की साजिश की है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पताल संचालक जिम्मेदारी से बचने के लिए बच्चे की मौत के बाद उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। ऑक्सीजन इसलिए लगाया गया ताकि यह लगे कि बच्चे की मौत हो गई है।
अगर सीएस की बातों को मान भी लिया जाए तो क्या सदर अस्पताल की जिम्मेदारी नहीं थी कि एक बार बच्चे की जांच की जाए। एक सीएस पर पूरे जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है। जिसके दायरे में प्राइवेट अस्पताल भी आते हैं। हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान शासन की स्वास्थ्य योजनाओं को संचालित करने के लिए दिए जाते हैं तो उन अस्पतालों में हो रही मनमानी को रोकने के लिए सीएस क्या कदम उठा रहे हैं। इसको लेकर पूछे गए सवालों से वह बचते नजर आए। सदर अस्पताल में पहली बार नहीं है कि इस तरह किसी की मौत की घटना हुई है। अस्पताल के कर्मियों की मनमानी, कोरोना मरीजों के खाने की गुणवत्ता आदि जैसे कई मामले हैं, जिन पर सीएस जवाब देने से बचते नजर आए। बहरहाल, अगर बच्चे की मौत में दोषी चाहे सदर अस्पताल हो या प्राइवेट अस्पताल, उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरुरत है, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
यह है पूरा मामला
यह वाक्या है बक्सर के सदर अस्पताल का, जहां गुरुवार (23 जुलाई) को एक दंपत्ति अपने नवजात की प्राण रक्षा के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए और नवजात बच्चे को ट्रे में लिए हुए डॉक्टर से दिखाने के लिए घूम रहा था। डॉक्टर ने बेड तक जाकर उन्हें देखना मुनासिब नहीं समझा और वह घंटों चक्कर काटता रहा। आखिरकार समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण इस नवजात की मौत हो गई। बताया जाता है कि राजपुर थाना क्षेत्र के सखुआना गांव के सुमन कुमार की पत्नी का प्रसव होना था। परिजन प्रसूता को लेकर चौसा अस्पताल पहुंचे थे। जहां से चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया था। हालांकि परिजन प्रसूता को लेकर चौसा स्थित किसी निजी क्लिनिक में पहुंच गए। जहां पर प्रसुता का ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया।