युवा किसी भी देश के शक्ति पुंज होते हैं। राष्ट्र या प्रान्त की शक्ति उसके युवाओं में शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और मानसिकता के द्वारा निर्धारित और परिभाषित होती है। बिहार के युवा वर्ग को पिछले 15 वर्षों में जितना उपेक्षित किया गया है वह सम्भवतः किसी भी राज्य या देश में कभी नहीं किया गया होगा। ये कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का।
तेजस्वी ने कहा कि युवा वर्ग राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा पाए इसके लिए 4 चीज़ों का होना अत्यावश्यक है 1) उत्कृष्ट शिक्षण संस्थाएँ, 2) रोज़गार के अवसर, 3) स्वस्थ अर्थव्यवस्था,
4) सामाजिक सौहार्द व अच्छी कानून व्यवस्था। बिहार में ये चारों परिस्थितियाँ युवाओं के प्रतिकूल है।
शिक्षा की हालत बद्तर
प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, सबकुछ कामचलाऊ ढर्रे पर धकेल दिया गया है। बिहार के विद्यालयों से विद्या को ही गायब कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों में एक भी ऐसा विश्वविद्यालय नहीं रहा जिसकी देश के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों में हो सके! कॉलेजों में सत्र का 2 से 4 साल तक के लिए पीछे चलना एकदम आम बात है।

रोजगार की बेमानी
नीतीश राज में रोजगार व नौकरियों की बात ना ही की जाए तो बेहतर हो! बेरोजगारी का अंदाज़ा किसी परीक्षास्थल या बहाली के लिए ट्रेनों, रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म की खचाखच स्थिति और युवाओं के सम्बंधित शहर में लगने वाले मजमे से ही लगाया जा सकता है। एक एक सीट के हज़ार हज़ार आवेदन आते हैं। प्रबंधन व इंजीनियरिंग के छात्र चपरासी व सफाई कर्मी की नौकरी पाने को आवेदन करते हैं।
राज्य में चल रहा है शिक्षा माफिया
पूरी शिक्षण व्यवस्था को माफिया की तरह करनेवाले निजी स्कूलों व संस्थानों की दया पर छोड़ दिया गया है। जो शिक्षा व्यवस्था देश के भविष्य और युवा वर्ग को उड़ान भरने के लिए पंख देता है, इस भ्रष्ट सरकार ने उसी के पंख कतर दिए हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच को मुट्ठीभर समृद्ध लोगों तक सीमित कर दिया गया है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति नौकरियों के अलावा रोजगार के अन्य विकल्प खोलता है। युवा वर्ग उद्यम क्षेत्र की ओर बढ़ कर अपना भविष्य संवार सकता है। अन्य युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है। सामाजिक सौहार्द व कानून व्यवस्था की अच्छी स्थिति के अभाव में कोई भी सामाजिक व आर्थिक क्रियाकलाप अपने वांछित उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकता। आए दिन बिहार में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए सत्ता पक्ष द्वारा ही सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अपराध का बढ़ा ग्राफ
कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है वह किसी से छुपा नहीं है। अधिकतर मामलों को दर्ज नहीं किए जाने और मीडिया की सरकार द्वारा एडिटिंग के बावजूद अपराध के आँकड़े आसमान छू रहे हैं। ऐसी स्थिति में युवा पूरी सकारात्मकता व एकाग्रता से अपने भविष्य को सँवारने की ओर कैसे बढ़ सकता है? युवाओं के नकारात्मक होने, हताश होने या गलत मार्ग पकड़ने की पूरी संभावना है। भला ऐसे में कोई युवा प्रदेश की प्रगति में कैसे अपनी प्रतिभानुसार योगदान दे पाएगा।