NEWSPR डेस्क। वैसे तो भारत में अंग्रेजों की हुकूमत 1858 में ही शुरू हो गई थी जो 1947 तक चली। इससे पहले, 1757 से लेकर 1857 तक भारत पर ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा रहा। देश के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान के आगे आखिरकार अंग्रेजों को एक दिन घटने टेकने पड़े। 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी करने के बाद भारत 15 अगस्त, 1947 को आखिरकार आजाद हो ही गया।
15 अगस्त को हमारे देश की आजादी के 75 साल पूरे हो गए। 125 करोड़ की जनसंख्या वाले हिंदुस्तान को यूं ही अंग्रेजों से आजादी नहीं मिली। बल्कि देश की आजादी के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने देश की मिट्टी को अपने खून से सींचा था। इस मुल्क को आजाद कराने वाले सच्चे देशभक्तों के संघर्ष, हौसले और जुनून की जितनी तारीफ की जाए, वो हमेशा कम ही रहेगी।
1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का गुलाम रहा भारत। लेकिन अंग्रेजों की हुकूमत साल 1858 में शुरू हुई और 1947 तक चली। इससे पहले, 1757 से लेकर 1857 तक भारत पर ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी का कंट्रोल था। देश के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान के आगे अंग्रेजों को नतमस्तक होना पड़ा। हालांकि
1857 में ही उठी थी हिंदुस्तान की आजादी की पहली चिंगारी
अंग्रेजी हुकूमत से आजादी की लड़ाई की पहली चिंगारी साल 1857 में निकली थी। उस वक्त का विद्रोह, सिपाही विद्रोह या 1857 के भारतीय विद्रोह के नाम से जाना जाता है। उस विद्रोह का नेतृत्व किसी और ने नहीं बल्कि बाबू वीर कुंवर सिंह ने किया था। इनके अलावे मंगल पांडे, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे और नाना साहिब ने भी 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था।
वहीं बाल गंगाधर तिलक और जेआरडी टाटा ने शुरू किया था स्वदेशी आंदोलन साल 1900 के आसपास देश में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई। उस वक्त बाल गंगाधर तिलक और जेआरडी टाटा ने बॉम्बे स्वदेशी को-ऑप स्टोर्स कंपनी लिमिटेड की स्थापना कर विदेशी सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी सामानों का समर्थन करना शुरू किया। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को स्वराज की आत्मा बताया था।
7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वैर पर भारत का झंडा फहराया गया. उस झंडे में लाल, पीला और हरे रंग की 3 पट्टियां थीं। साल 1921 में पिंगली वेंकैया ने हमारे मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज का पहला वैरिएंट डिजाइन किया। ऊपर भगवा, बीच में सफेद जिसमें 24 तीलियों वाला अशोक चक्र मौजूद है और नीचे हरे रंग की पट्टी वाले झंडे को 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया. इस तिरंगे को 15 अगस्त, 1947 को फहराया गया।
महात्मा गांधी ने 1942 में शुरू किया था भारत छोड़ो आंदोलन
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, इस आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन के माध्यम से भारत में ब्रिटिश शासन को खत्म करने की मांग की गई थी।
आजादी के समय भारत का कोई राष्ट्रीय गान नहीं था लेकिन राष्ट्रीय गान ‘भारत भाग्य विधाता’, साल 1911 में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। जिसका नाम बाद में बदलकर ‘जन गण मन’ कर दिया गया था। फिर इसके बाद 24 जनवरी, 1950 में भारत की संविधान सभा ने जन गण मन को राष्ट्रीय गाम के रूप में स्वीकार कर लिया था। रेडक्लिफ लाइन के नाम से भी जानी जाती है भारत। पाकिस्तान की सीमा रेखा
भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सीमा रेखा को रेडक्लिफ लाइन के रूप में भी जाना जाता है। जिसे ब्रिटिश बैरिस्टर सर सिरिल रैडक्लिफ ने 3 अगस्त, 1947 को सीमांकित किया था। इसकी जानकारी आधिकारिक तौर पर भारत की आजादी के दो दिन बाद यानी 17 अगस्त, 1947 को प्रकाशित की गई थी।
सिंधु नदी के नाम पर रखा गया
हमारे देश का नाम सिंधु नदी से लिया गया था। सिंधु नदी, महान सिंधु घाटी सभ्यता की गवाह है। भारत को 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को स्वतंत्रता मिली थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि कोरिया, कांगो, बहरीन और लिकटेंस्टीन भी 15 अगस्त को ही अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। आपको बता दूं कि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए उपन्यास ‘आनंदमठ’ का एक हिस्सा है वंदे मातरम बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ 1880 के दशक में लिखा गया था।
वंदे मातरम, बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए उपन्यास ‘आनंदमठ’ का एक हिस्सा था। वंदे मातरम को 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी गई थी।