अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे ब्रिजया समुदाय को बचाने के लिए सामने आया मिशन बदलाव, भुखमरी से बचाने के लिए बांटा एक माह का राशन

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अजित सोनी

गुमलाः जिले के विशुनपुर प्रखंड के नरमा पंचायत  स्थित अदिमजनजाति का यह गांव  तुसरू कोना  तराई में बसा गांव पहाड़ो से घिरा है। यह गांव नक्सली का गढ़ भी कहा जाता है। इस गांव में ब्रिजया समुदाय के विलुप्त हो रही अदिमजनजाति के लगभग 500 सौ लोग रहते हैं। लेकिन लॉकडाउन में इस लुप्त हो रहे जाति को बचाने के लिए न तो प्रशासन का कोई अधिकारी सामने आया और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने ही उनकी सुधी लेना जरुरी समझा।

बता दें कि तुसरू कौन यह गांव प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 से 20 किमी की दूरी पर यह गांव बसा है। इस गांव में ब्रिजया समुदाय के विलुप्त हो रही अदिमजनजाति के लगभग 500 सौ लोग रहते है। लेकिन अफसोस यह है कि सरकार के द्वारा किया गया लॉकडाउन के दौरान किसी अधिकारी और जनपतिनिधि  गांव जाकर निसहाय गरीब परिवार की मदद नही की। भूख मिटाने की ललक में खाख छानती रही लेकिन किसी ने सुध नही ली जिस कारण से भूखे मरने की कगार पर हैं।

एनजीओ ने की सहायता

कोरोना काल में अदिम जनजाति के लोगो मे भुखमरी की नोबत आने के दौरान कोविड 19 राहत शिविर के तहत मिशन बदलाव की टीम अति नक्सल प्रभावित गांव तुसरू कोना गांव पहुची  और लगभग 15 परिवार गरीब निसहाय के बीच एक महीना का राशन वितरण किया जिसमें 25 केजी चावल 3 केजी दाल और आटा  सहित 11 खाद्य सामग्री का वितरण किया इससे सरकार व प्रशासन को सीख लेने की जरूरत है।

वहीं ग्रामीण की माने तो एक महीना के राशन मिलने से लोगो मे खुशी देखी गयी लोगो ने मिशन बदलाव टीम के प्रति आभार जताया है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले तीन बार से विधायक की जीत चमरा लिंडा जीता है और जे एम एम का सरकार है और सरकार आदिवासियों के हितैसी कहते है लेकिन विशनपुर प्रखंड आकर देखे की आदिम जंनजाति के परिवार किस तरह से गुजर बसर के रहे है कितना मजबूरी में है।

वहीं मिशन बदलाव के रितेश मिंज ने बताया कि ग्रुप  को जब  जानकारी हुई तो तत्काल एक महीने का राशन दर बदर की खा रही अदिमजनजाति के बीच गरीब और निसहाय परिवार के बीच भूख को मिटाने के लिए लोगों के बीच राशन मुहिया कराया गया। रितेश मिंज ने बताया कि इस जनजाति की मूल भूत सुविधा को लेकर मिशन बदलाव की टीम जब तक आदिम जन जाति की समस्या पर हर समय उनके साथ सेवा करने को तैयार है।

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