करीब साढ़े पंद्रह वर्षो से अधिक समय तक जेल में बंद रहने के बाद परिहार का लाभ लेकर बाहर आये आनंद मोहन की रिहारी का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है और इसको लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गयी है ।अब कई लोग जेल में बंद अन्य कैदियों को छोड़ने की मांग करने लगे है ।
इसी को लेकर अब बिहार सरकार के कानून व गन्ना विकास मंत्री डॉ शमीम अहमद का एक बड़ा बयान सामने आया है और इसको लेकर उन्होंने बिपक्षी दलों पर पलटवार किया है साथ ही इस कानून की बारीकियों की जानकारी भी दी है ।जानकारी देते हुए कानून मंत्री डॉ शमीम ने कहा कि जो लोग उनके जेल से बाहर आने पर हंगामा कर रहे है वही लोग पहले उनकी रिहाई की मांग करते थे ।उन्होंने कहा है कि आनंद मोहन की रिहाई जिस कानून के तहत हुई थी वो कानून 2012 में ही बनी थी और इसबार सिर्फ उसमें एक संसोधन किया गया है । जो भी हुआ है वो नियम के तहत हुई है ।ये एक कानूनी प्रक्रिया है और इसको लेकर परिहार परिषद की बैठक भी हुई थी जिसमे ये निर्णय लिया गया है ।बिपक्ष के पास कोई मुद्दा नही है इसलिए वे लोग हंगामा कर रहे है ।2012 में जो संसोधन हुआ था वो संसोधन इन्ही लोगों ने करवाया था । उपेन्द्र कुशवाहा के सवाल पर मंत्री ने कहा कि ये डूबती हुई नैया पार सवारी करने जा रहे है ,,ये उनकी मर्जी है,,जिसको जहां जहां जाना है वहां वहां जाए ,,कोई दिक्कत नही है।