बाढ़ः पटना जिला के बाढ़ अनुमंडल का बाढ़ शहर एक ऐसा शहर है, जहां 15 वर्षों से 15 बीघा जमीन भुगत रही है ‘काला पानी’ की सजा। यह सुनकर भले आश्चर्य होगा! लेकिन हकीकत यही है। बाढ़ नगर परिषद की मूर्खता और कायरता ने शहर के दर्जन भर किसानों का लगभग 15 बीघा उपजाऊ जमीन में पूरे शहर के गंदे नाले की पानी इकट्ठा कर 15 वर्षों से इसे बंजर बना कर रख दिया है। मतलब 15 बीघा जमीन पर ‘काला पानी’ का साम्राज्य पूर्णत: कायम है! जिसके कारण यह जमीन न तो खेती लायक रह गया है, और न ही भवन निर्माण के काबिल।
किसानों ने कहा – हो रही है परेशानी
यहां तक की पिछले 15 वर्षों से कोई किसान 15 मिनट के लिए भी अपने जमीन पर खड़ा नहीं हो पाया है! यहां के किसानों का कहना है कि शहर की गंदे पानी का निकासी के लिए शहर के बाहर 4 की संख्या में पुलिया बनाए गए हैं जिसे स्थानीय लोगों द्वारा बंद कर दिया गया है। लेकिन इस बंद पड़े पुलिया को खुलवाने की हिम्मत न तो बाढ़ नगर परिषद में है और न हीं बाढ़ प्रशासन में। किसानों का कहना है कि क्षेत्र के विधायक भी मामले में अपने हाथ खड़े कर चुके हैं।
करोड़ों में है जमीन की कीमत
जबकि इस जलमग्न जमीन की आजू- बाजू के जमीन का कीमत मिनिमम 2000000 रुपए कट्ठा है। लेकिन सालों भर जलजमाव रहने के कारण कोई इसका खरीदार भी नहीं है। वर्तमान में इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपए से अधिक होगी, लेकिन नगर परिषद की लापरवाही के कारण कोई कीमत नहीं मिल रहा है। आज की तारीख में बेतरतीब निर्माण ने शहर की रूपरेखा को इस तरह बदल कर रख दिया है कि आने वाली 15 वर्षों में भी यहां से पानी निकल पाना मुश्किल ही नहीं असंभव दिख रहा है! इस बाबत जब कार्यपालक पदाधिकारी से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने मिलने से ही साफ इनकार कर दिया।