DESK: बिहार वुहान बन चुका है यह कहने में कोई दो राय नहीं है. रूस में हो रहे मौतों को हमने देखा कैसे ट्रक से शवों को भर भर के ले जाया जा रहा था . वहां मौत के आंकड़े छुपाए नहीं जा रहे थे . लेकिन बिहार में मौतें भी हो रही है और कहीं ना कहीं आंकड़े भी छुपाए जा रहे हैं साथ ही साथ इलाज की कोई व्यवस्था सरकार के द्वारा नहीं की जा रही है .
ऐसे में कोई दो राय नहीं है कि बिहार की जनता खतरे में है और बिहार में मौत का तांडव शुरू हो चुका है.
वैसे तो डबल इंजन की सरकार बड़े-बड़े दावे करती रहती है लेकिन यह दावे धरातल पर कभी नहीं उतरती कागजों तक सिमट के रह जाती है वर्तमान सरकार हो या फिर विपक्ष हर कोई कुर्सी की चाहत में है. चुनावी माहौल देख हर कोई अपना चेहरा चमका रहा है. कोई ट्विटर के जरिए वीडियो पोस्ट करके तो कोई घटनास्थल पर पहुंचकर लोगों को सांत्वना देकर लेकिन बिहार की जनता ही जानती है कि उस पर क्या बीत रही है .
एक ओर जहां बिहार में कोरोना काल बनकर डेरा जमाए हुए हैं . वहीं दूसरी ओर बाढ़ ने भी अब प्रलय लाना शुरू कर दिया है . ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन सब में केवल बिहार की मासूम जनता ही क्यों पीस रही है.
क्या सरकार के लिए बिहार की जनता केवल 1 वोट का साधन है सरकार को गद्दी पर बैठाने का केवल एक माध्यम है. क्या इसी को डेमोक्रेसी कहते हैं? क्या इसी को डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट कहते हैं ? बिहार सरकार को लेकर इस बार कई सवाल है और जवाब एक भी नहीं . एक बार सोचिएगा जरूर इस बार भी चुनाव है और यह चुनाव काफी अहम है.