NEWSPR डेस्क। भागलपुर जगदीशपुर प्रखंड के तगेपुर निवासी ऑटो चालक मुकेश मोहन मिश्रा की बेटी नेहा ने अपने माता पिता को एक तोहफा दिया है। जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। दरअसल अमेज़न कंपनी में काम कर रही सॉफ्टवेयर इंजीनियर नेहा ने अपनी कमाई से अपने माँ पापा को 35 लाख का फ्लैट गिफ्ट किया है।
नेहा दो साल से अपने घर से वर्क फ्रॉम होम कर रही है। साथ ही घर के कामों में भी माँ का हाथ बंटाती है। नेहा ने कहा की मैंने अमेजॉन के इंटरनल एग्जाम को पास किया,आज सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में डाटा एनालिसिस्ट के तौर पर कार्य कर रही हूं।नेहा को अमेज़न द्वारा 9.8 लाख रुपये सालाना पैकेज दिया जा रहा है।नेहा ने बताया कि 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद घर की दिक्कत हुई, 40 साल से किराए के मकान में रह रहे थे।मकान मालिक मकान खाली करवा रहे थे। नए मकान खोजने में परेशानी हुई। पापा से नया घर लेने की बात कही तो पापा नहीं माने। फिर पापा को बिना बताए सैलरी अकॉउंट से लोन अप्लाय किया। क्योकि मकान का किराया देने से बेहतर था बैंक लोन का क़िस्त जमा करना। 30 लाख का लोन अप्रूव हुआ तो जीरोमाइल के बसन्त विहार में दो बीएचके फ्लैट ले ली।अभी इस घर में मेरे अलावा मां शारदा मिश्रा, पापा और दादी रहती है। मेरा छोटा भाई हैदराबाद से ही बीकॉम कर रहा है।
नेहा के पिता मुकेश मोहन मिश्रा पेशे से ऑटो चालक थे। भागलपुर में ही ऑटो चलाते थे। 40 साल किराए के मकान में रहकर गुजारा किया। मुकेश मोहन मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1989 में उन्होंने ऑटो खरीदा तब से 2014 तक अपने परिवार का जीवन-यापन ऑटो की कमाई से किया। 2014 में हाई कोर्ट से केस जीतने के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में परिचारी के पद पर नौकरी हुई।मुकेश बताते हैं कि बहुत मुश्किल से हमने ऑटो चला कर अपनी बेटी नेहा को पढ़ाया नेहा की 12वीं तक की शिक्षा माउंट कार्मेल भागलपुर से हुई है। वर्ष 2016 में 12वीं करने के बाद नेहा के अंक को देख कर उसे हैदराबाद स्थित सैन फ्रांसिस्को वूमेन कॉलेज में इंजीनियरिंग में दाखिला मिला,जहां से उसने अपने मेहनत के दम पर वर्ष 2019 में अमेजॉन जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब हासिल की। बेटी ने फ्लैट गिफ्ट किया है। बहुत अच्छा लग रहा है। इसके पीछे मेरे माँ पापा का आशीर्वाद और नेहा की मेहनत है।
वहीं बेटी द्वारा घर गिफ्ट किए जाने पर मां शारदा मिश्रा ने खुशी जाहिर की है। शारदा मिश्रा ने कहा कि जब से शादी हुई किराए के घर में रह रही थी। कई जगह मकान बदले। बेटी भी शुरू से पढ़ने में तेज थी। बहुत खुश हूँ बेटी ने मकान गिफ्ट किया है।
रिपोर्ट: श्यामानंद सिंह, भागलपुर