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ऑनलाइन कंपनियां अब नहीं कर सकती हैं ग्राहकों की अनदेखी, नए कानून से मिला उपभोक्ताओं को यह अधिकार

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पटनाः पिछले कुछ सालों में देश में ऑनलाइन खरीदारी में तेजी आई है। अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे 50 से भी अधिक ई-कॉमर्स कंपनियां लोगों को सस्ते दर पर सामान उपलब्ध करा रही है। लेकिन इसके साथ कई प्रकार की शिकायतें भी सामने आती रही है, जिनमें सबसे बड़ी समस्या सामान में गड़बड़ी होने पर उपभोक्ता फोरम में किसी प्रकार की शिकायत नहीं की जा सकती थी। इस व्यवस्था को केंद्र सरकार ने बदलते हुए उपभोक्ता कानून में नए संशोधन किए हैं, जो सोमवार से प्रभावी हो गए हैं।

उपभोक्ता अधिकारों को नई ऊंचाई देने वाले उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रावधान आज से प्रभावी हो जाएंगे। यह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 का स्थान लेगा। नए कानून के तहत उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करा सकेगा। भ्रामक विज्ञापनों पर जुर्माना एवं जेल जैसे प्रावधान भी इसमें जोड़े गए हैं। पहली बार ऑनलाइन कारोबार को भी इसके दायरे में लाया गया है।

प्रोडक्ट में नहीं दे सकते गलत जानकारी

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नए कानून में भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इस कानून के तहत उपभोक्ता विवादों को समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से सुलझाया जाएगा। नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के गठन का भी प्रावधान है। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना होगा।

जनवरी में होना था लागू

पहले इस कानून को जनवरी में लागू किया जाना था, जिसे बाद में मार्च कर दिया गया। मार्च में कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था। अब 20 जुलाई से सरकार ने इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई शुरू हो जाएगी। खासकर अब ऑनलाइन कारोबार में उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी भी कंपनियों पर भारी पड़ सकती है।

  1. पीआइएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में दायर की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था
  2. नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिंग कंपनियों को भी शामिल किया गया है
  3. खाने–पीने की चीजों में मिलावट करने वाली कंपनी पर जुर्माने और जेल का प्रावधान
  4. उपभोक्ता मध्यस्थता सेल का गठन। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकेंगे
  5. कंज्यूमर फोरम में एक करो़़ड रपये तक के केस और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक करोड़ से 10 करोड़ तक के केस
  6. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में 10 करो़़ड रपये से ऊपर के केस की सुनवाई
  7. सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने की शिकायत पर होगी कार्रवाई
  8. कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत

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