NEWSPR डेस्क। औरंगाबाद के सदर अस्पताल को मॉडल हॉस्पिटल का दर्जा तो कई सालों से मिला हुआ है। पर यहां आदर्श लायक कुछ भी नहीं है। हालांकि अब व्यवस्था में सुधार के प्रयास हो रहे है।
सभी सुविधाओं और आवश्यक संसाधनों से लैश सदर अस्पताल की नौ मंजिला इमारत का निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य के दौरान परिसर में की गई बेतरतीब खुदाई से अस्पताल का सारा सिस्टम ध्वस्त हो गया है। निर्माण कार्यों के कारण सदर अस्पताल के मेन गेट को बंद कर दिया गया है। अस्पताल के पिछले दरवाजे से लोगो की आवाजाही हो रही है। परिसर में जलजमाव और कुव्यस्थाओं के कारण अस्पताल में आ रहे मरीज और उनके परिजन परेशान है।
अस्पताल के कर्मचारियों का भी रवैया मरीजों के प्रति सहयोगात्मक नही है। नतीजतन परिजनों को खुदाई से उबड़ खाबड़ हो गई जमीन पर हिलते डुलते हुए खुद ही स्ट्रेचर खींचकर मरीजों को वार्ड में लाना पड़ रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के जिले के सबसे बड़े अधिकारी यानी सिविल सर्जन का रवैया रोम जल रहा था और नीरो चैन की बंशी बजा रहा था, वाला है।
सिविल सर्जन कुमार वीरेंद्र प्रसाद से बात की गई तो सवालों से वे खुद ही झल्ला पड़े और कह डाला कि क्या करे अस्पताल बंद करा दे। ऐसे में लाख टके का सवाल है कि जब सिविल सर्जन जैसे जिम्मेवार अधिकारी का यह हाल रहेगा, तो व्यस्था सुधार के नाम पर भगवान भरोसे ही रहेगी।
औरंगाबाद से रूपेश की रिपोर्ट