NEWSPR डेस्क। पटना में किसान संघर्ष मोर्चा ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए किसानों के साथ गलत व्यवहार करने की बात कही है। उनका कहना है कि बिहार में किसानों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। सरकार द्वारा विकास एवं सड़क निर्माण के नाम पर किसानों से जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है और किसानों को उचित मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है।
बिहार के सुदूर जिलों की बात छोड़ दिजीये। बिहार सरकार की नाक के नीचे पटना के बिशनपुर पकड़ी, चितकोहरा एवं नत्थूपुर मौजा के किसान अपनी जमीन देकर खुद बेघर और बेरोजगार होने पर विवश हो गए हैं कारण सिर्फ यह है कि सरकार ने जमीन तो अधिग्रहित कर ली लेकिन उसका उचित मुआवजा किसानों को आज तक नहीं मिला है।
किसानों ने सभी अधिकारियों नेता एवं मंत्री का दरवाजा खटखटा लिया लेकिन न्याय नहीं मिला तो थक हार कर अब चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के माध्यम से अपनी बात कह कर सरकार के आला अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। ताकि किसानों के साथ हो रहे अन्याय की जानकारी सभी को हो और उस पर सरकार उचित निर्णय लें ताकि किसानो को न्याय मिल सके।
सरकार द्वारा पटना गया डोभी राष्ट्रीय पथ के 2•8 KM संपर्क पथ के निर्माण के लिए पटना स्थित विशुनपुर पकड़ी, चितकोहरा एवं नत्थुपुर के जमीन को जिला भु – अर्जन पदाधिकारी पटना द्वारा अधिगृहित किया गया है लेकिन जमीन के मालिकों / किसानों को नियमानुसार उचित मुआवजा का भुगतान नहीं मिलने के कारण वहां के किसानों में गहरा आक्रोश है , अधिगृहित जमीन के उचित मुआवजे के लिये वर्ष 2015 से ही किसान संघर्ष मोर्चा, पटना आंदोलनरत रहा है तथा समय – समय पर अपनी मांगों की पूर्ति हेतु प्रजातंत्र की प्रक्रिया के तहत धरना प्रदर्शन इत्यादि करते रहे है ।
आज किसान संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में पटना अवस्थित आई.एम.ए हॉल में एक संवादाता सम्मेलन करते हुए किसान सीता कुमारी ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2011 में हमारी जमीन की प्रकृति को आवासीय घोषित किया गया था। क्योंकि जिला निबंधन कार्यालय के अनुसार उपरोक्त जमीन आवासीय / व्यवसायिक है तथा सर्किल रेट भी इसी अनुसार है।
बावजूद इसके जिला भू – अर्जन पदाधिकारी पटना ने मनमाने ढंग से इस जमीन को कृषि प्रकृति योग्य घोषित करते हुए वर्ष 2013 मे हमारी जमीन को अधिगृहित किया गया । इस पर किसान / जमीन मालिकों ने गहरी आपति दर्ज की । वर्ष 2015 में सरकार ने पैसे की व्यवस्था कर 2011 के सर्किल रेट / कृषि प्रकृति के जमीन को आधार मानते हुए मुआवजे का आंशिक भुगतान किया जिसे आपत्ति के साथ जमीन मालिकों ने स्वीकार किया लेकिन वास्तविक मुआवजे के लिए इनका संघर्ष लगातार जारी रहा। जबकि बिहार सरकार के जिला भू- अर्जन पदाधिकारी , पटना द्वारा चार गुना मुआवजा के भुगतान के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था जिसे NHAI के उच्च अधिकारीयो के द्वारा मनमानी कर इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया।