कृषि मंत्री ने की बाढ़ से उत्पन्न स्थिति , फसल आच्छादन एवं उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा

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By PR Desk

रजत कुमार

पटनाः बिहार के कृषि मंत्री डॉ . प्रेम कुमार की अध्यक्षता में राज्य के सभी प्रमण्डलीय संयुक्त निदेशक ( शष्य ) तथा सभी जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में खरीफ मौसम में फसल आच्छादन की स्थिति , बाढ़ तथा अत्याधिक वर्षापात से फसल के नुकसान के आकलन पर रिपोर्ट पेश किया गया। वैकल्पिक फसल के लिए बीज की व्यवस्था तथा विभिन्न प्रकार के उर्वरकों की उपलब्धता एवं उनके मूल्य के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक कर समीक्षा की गई ।

इस समीक्षा बैठक में सचिव कृषि विभाग डॉ एन सरवण कुमार, कृषि निदेशक आदेश तितरमारे सहित अन्य पदाधिकारीगण भी उपस्थित थे। समीक्षा के क्रम में कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में धान की रोपनी लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा की हो चुकी है , परन्तु उत्तर बिहार विशेषकर दरभगा प्रमण्डल , कोशी प्रमण्डल तथा वैशाली जिला को छोड़कर तिरहुत प्रमण्डल के अधिकांश प्रखण्डों में अत्याधिक वर्षापात से जल – जमाव की स्थिति तथा नदियों में उफान के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के कारण धान तथा अन्य खरीफ फसलों को नुकसान होने की सम्भावना है।

बाढ़ प्रभावित इलाके के नुकसान का हुआ आकलन

बताया गया कि उत्तर बिहार के जिला कृषि पदाधिकारियों द्वारा फसलों के नुकसान का प्राथमिक आकलन करा लिया गया है। उन्होंने निर्देश दिया कि वैसे सभी प्रखण्डों तथा पंचायतों , जहाँ बाढ़ की स्थिति भयावह है , का फसल क्षति का आकलन पुनः करा लिया जाये तथा पानी उतरने के बाद फसलों की वास्तविक क्षति से संबधित प्रतिवेदन जिला पदाधिकारी के माध्यम से विभाग को उपलब्ध कराया जायेॉ। उन्होंने वैसे प्रखण्डों जहाँ 15 अगस्त के बाद भी पानी निकलने की सम्भावना नहीं है , वहाँ अल्प अवधि में तैयार होने वाले धान के बीज के साथ – साथ वैकल्पिक फसल के रूप में तोरियाँ , मक्का , कुल्थी तथा सब्जी फसलों के बीज की आवश्यकता से तुरन्त मुख्यालय को अवगत कराने का निर्देश दिया।

काम की तारीफ

कृषि मंत्री ने कहा कि विहार राज्य बीज निगम लिमिटेड द्वारा 5.05 लाख किसानों को अनुदानित दर पर खरीफ फसलों के बीज उपलब्ध कराया गया । इसके साथ ही , किसानों की मांग के अनुसार बीज की होम डिलीवरी की गई है । डॉ प्रेम ने जिला कृषि पदाधिकरियों को हौसला बढ़ाते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में जब गेहूं के कटनी के कार्य में किसानों को हमारे पदाधिकारियों द्वारा अच्छे ढ़ग से मदद की गई , जिससे राज्य के किसानों को काफी फायदा हुआ। राज्य सरकार द्वारा किसानों को फरवरी , मार्च एवं अप्रैल माह में असामयिक वर्षापात / ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति की भरपाई कृषि इनपुट अनुदान के माध्यम से प्रभावित किसानों के खाते में सीचे राशि हस्तातरित कर किया गया। इसी तरह टिड्डी के प्रकोप पर नियंत्रण करने में भी हमारे पदाधिकारियों ने दिन – रात एक कर मेहनत की है। डॉ कुमार ने कहा कि इस वर्ष समय पर मानसून आने से अच्छी वर्षा होने के कारण धान की रोपनी बहुत ही अच्छा हुआ था।

उत्तर बिहार पर रखें नजर

कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार के जिलों में बाढ़ की स्थिति बनने से किसानों को धान के फसल की नुकसान होने की सम्भावना है। इसलिए कृषि विभाग के पदाधिकारी एवं कर्मचारी किसानों को हरसम्भव सहायता उपलब्ध कराये। राज्य सरकार की नीति के अनुसार आपदा की स्थिति में राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का होता है। राज्य सरकार किसानों को किसी भी प्रकार के नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई करेगी। राज्य के सभी जिलास्तरीय एवं प्रखण्डस्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की बैठक करा ली गई है।

सुनिश्चित करें कि किसानों को सही मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो

उन्होंने कहा कि राज्य में उर्वरक की कहीं कमी नहीं है। इसलिए सभी जिला कृषि पदाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसानों को सही मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो । कोई भी उर्वरक बिक्रेता उर्वरक के निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर बेचे तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाये । इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सचिव , कृषि विभाग डॉ एन सरवण कुमार ने दक्षिण बिहार के सभी जिला कृषि पदाधिकारियों तथा वैसे जिले , जो बाढ़ या अत्याधिक वर्षा से प्रभावित नहीं है , वहाँ 01 अगस्त से हर खेत को पानी योजना का सर्वेक्षण कार्य फिर से शुरू करने का निदेश दिया । भारत सरकार द्वारा एफपीओ के गठन तथा उसे कृषि विपणन से जोड़ने पर विशेष बल दिया जा रहा है । इसके लिए राज्य स्तर पर एक कमिटी तथा जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया है। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारियों को जिला स्तर पर गठित समिति की बैठक यथाशीघ्र कराने का निदेश दिया ।

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