NEWSPR डेस्क। कैमूर में सैकड़ों चापाकल महीनों से बंद पड़े थे। बंद पड़े चापाकलों की मरम्मती नहीं किये जाने से संबंधित गांव एवं मोहल्ला में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ था। बीते भीषण गर्मी के दौरान लोग सुख रहे गले को तर करने के लिए बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे थे मगर इसी बीच जिला प्रशासन नींद खुली और जिले में बंद पड़े 3538 चापाकलों की मरम्मती करायी गयी और उसे चालू कर पानी की समस्या खत्म किया गया है।
शहर के विभिन्न प्रखंडों में कुल 14462 चापाकल लगाये गये हैं जिसमें से बंद पड़े 3538 चापाकलों की पीएचइडी विभाग द्वारा मरम्मती कराकर चालू करा दिया गया है। हालांकि विभागीय आंकड़ों में अभी भी जिले में विभिन्न प्रखंडों में 96 चापाकल खराब पड़े है। 96 चापाकलों के मरम्मती के लिए पीएचइडी विभाग द्वारा कार्यवाही किया जा रहा है। जिले के अधौरा प्रखंड में बंद पड़े 274 चापाकलों की मरम्मती कराने की दिशा में कार्रवाई लगभग पुरी कर ली गई है।
बता दें कि चापाकल बंद रहने के कारण सबसे अधिक समस्या कैमूर जिले के पहाड़ी क्षेत्र अधौरा, रामपुर, भगवानपुर तथा चैनपुर प्रखंड के लोगों को काफी परेशानी होती है। चापाकल बंद रहने के कारण ग्रामीणों को काफी दूरी तय कर पानी लाना पड़ता है। चापाकल बंद रहने के कारण ग्रामीणों को गर्मी के मौसम में खाना पकाने, स्नान करने कपड़ा धोने, तथा मवेशियों को पानी पिलाने में काफी परेशानी होती है।
जिले में कुल चापाकलों की संख्या 14462
विदित हो कि कैमूर में कुल चापाकल की संख्या 14462 है। जिसमें से वर्ष 2022-23 में जिले में खराब पड़े चापाकलों की संख्या 3538 थी। जिसके बाद इन चापाकलों को पीएचइडी विभाग द्वारा मरम्मत करा चालू करा दिया गया है। वहीं जिले में नल जल के अच्छादित वार्डों की संख्या 824 है। जिसमें कुल योजनाओं की संख्या 1014 है। वहीं नल जल की योजना बंद पड़े हैं। बंद पड़े नौ योजनाओं को चालू कराने के लिए निविदा निष्पादन की प्रक्रिया में है।
3538 चापाकलों का कराया गया मरम्मत
कैमूर जिले के पीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अमित कुमार ने से यह पूछा गया कि जिले में कितने चापाकल बंद है तो उन्होंने कहा इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने इतना बताया कि कैमूर जिले में कुल 14462 चापाकल है. जिसमें से 3538 बंद पड़े चापाकल की मरम्मत विभाग द्वारा कराई गयी है। वहीं अन्य खराब पड़े चापाकलों की मरम्मती करायी जा रही है। हालांकि बरसात के मौसम चालू हो गए हैं और पानी लगभग आम जनमानस के अलावे पहाड़ी पशु पक्षी जानवरों का गला तर होने लगा है।
कैमूर/भभुआ से ब्रजेश दुबे की रिपोर्ट