NEWSPR डेस्क। कोरोना संक्रमण को लेकर साल 2019 के नवंबर महीने से पूरा विश्व इसकी चपेट में है और लाखों लोग असमय काल के गाल में समा गए। भारत भी वर्ष 2020 के मार्च से इस आपदा को झेल रहा है और लगातार दो वर्ष लॉकडाउन से गुजरा। संक्रमण काल में देश में भी कितनी जिंदगियां गई और कई लोगों के सिर से मां बाप का साया उठ गया।
इस दौरान व्यवसाय से लेकर शिक्षा तक पर गहरा प्रभाव पड़ा। संक्रमण को लेकर बच्चे ऑनलाइन शिक्षा पर केंद्रित हो गये। ऐसे में मोबाइल के रेडिएशन से देश के विभिन्न प्रान्तों के बच्चे कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो गए और कही मोबाइल के ब्लास्ट से बच्चों की स्थिति भयावह हो गयी। देश अब कोरोना के तीसरे दौर से गुजर रहा है।
इससे बचाव को लेकर औरंगाबाद में भी स्कूल बंद हो गए और बच्चे एक बार फिर मोबाइल पर पढ़ाई के लिए आश्रित हो गए। बच्चों द्वारा लगातार मोबाइल के सेवन से हो रहे खतरों को लेकर अभिभावक परेशान है। चिकित्सकों की मानें तो ऐसी स्थिति में बच्चे एकांकी हो जाते है जिससे उनकी मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
औरंगाबाद से रूपेश की रिपोर्ट