कोविशील्‍ड वैक्‍सीन से कितना है खतरा, जानिए यहां….

Patna Desk

NEWSPR DESK- कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्‍यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन लगवाई थी।

आपको बता दे की इसे बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में इसके खराब साइड इफैक्‍ट ब्‍लड क्‍लोटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की बात कुबूली है, जिससे दुनियाभर में इस वैक्‍सीन को लगवाने वाले लोगों में डर पैदा हो गया है. भारत में न केवल इस वैक्‍सीन पर तमाम सवाल उठ रहे हैं बल्कि इसे बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया भी कटघरे में है. हालांकि इस वैक्‍सीन को लगे 3 साल से ज्‍यादा का समय हो गया है, ऐसे में भारतीय लोगों में इस वैक्‍सीन का कितना खतरा है, इसे लेकर दिल्‍ली के टॉप कार्डियोलॉजिस्‍ट और वायरोलॉजिस्‍ट ने अपनी राय दी है.

शुरुआत में ये वैक्‍सीन लगवाई जा रही थी तो भी ऐसे कई सवाल उठे थे और कहा गया था कि कोवैक्‍सीन सुरक्षित है और कोविशील्‍ड के नुकसान हो सकते हैं. ऐसा इसलिए भी कहा गया था कि यह एडिनोवायरस बेस्‍ड वैक्‍सीन थी, जो बायोटेक्‍नोलॉजी का नया टर्म है. इसके अलावा अन्‍य कई विदेशी वैक्‍सीनों को लेकर भी सवाल उठे थे. डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी उस समय बोला था कि कुछ मामले थ्रोम्‍बोसिस के आ रहे थे. लेकिन लिटरेचर पढ़ेंगे तो देखेंगे कि इस तरह के साइड इफैक्‍ट्स शुरुआत में ही दिखाई देते हैं. ये वैक्‍सीन लगने के 4 से 6 हफ्तों के बीच ही सामने आते हैं. अब जबकि वैक्‍सीन लगे इतने साल हो गए हैं तो भारत में इसका खतरा नहीं है. बाकी अपवाद किसी भी दवा में हो सकता है.

Share This Article