बिहार सरकार की उदासीन रवैया के कारण अन्नदाताओं का हाल बदहाल है। जहां एक तरफ किसानों का धान खलिहान में पड़ा हुआ है वहीं दूसरी तरफ खाद के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं। बता दें की दुर्गावती प्रखंड में यूरिया खाद के लिए अन्नदाताओं की जो दुर्दशा हो रही हैं उसकी स्थिति बद से बदतर है। सरकार किसानों को लेकर बेहद बेपरवाह दिख रही है। वैसे कहां जाए तो किसानों के प्रति जो सरकार की रवैया है वह असंवेदनशील है। किसान जिस स्थिति से गुजर रहे हैं उस दुर्दशा को देखकर ऐसा लग रहा है कि अब सरकार को किसानों से कोई मतलब ही नहीं है। जब चुनाव आता है तो सरकार किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाती है जनप्रतिनिधि अलग-अलग दावे करते हैं लेकिन जब सरकार बन जाती है तो किसानों का दुख दर्द देखने वाला इस राज्य में कोई नहीं है । आज की तत्काल स्थिति से अवगत कराते हुए आपको बता दें कि एक तरफ किसान धान अधि प्राप्ति के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। खलिहान में धान पड़ा हुआ है उसे कोई खरीदने वाला नहीं है सरकार की जो एजेंसियां काम कर रही हैं वे बहुत ही शीथील है। खलिहानों में धान रख कर उसे बेचने के लिए बिचौलियों का बाट जोह रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ किसानों को खेत में खाद की आवश्यकता है लेकिन बाजार से खाद ही गायब है। जैसे ही किसानों को सूचना मिलती है कि दुकान पर खाद आ गई है किसानों की लंबी कतार लग जाती है। इस स्थिति से गुजर रहे किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील हो चुकी है। वही प्रखंड के अंतर्गत बिस्कोमान भवन के समीपवर्ती भेरिया गांव के कुछ दबंग किस्म के किसानों के द्वारा प्रताड़ित किए जाने से कुछ गरीब तबके के लोग बिस्कोमान भवन पर जाने से कतराते हैं।
उस गांव के कुछ ऐसे लोग है जो आधार कार्ड उसूल गैंग बनाकर आने वाले हर खेप के खाद को उठा लेते हैं और उसे ऊँचे दाम पर और किसानों के बीच में बेचने का काम कर रहे है। कुछ किसानों का मानना है कि यदि भेरिया गांव के किसानों को एक दिन का समय खाद उठाव के लिए दे दिया जाए तो इलाके के अन्य किसानों को खाद उठाने में भेड़िया धसान तो रहेगी लेकिन परेशानी नहीं होगी।