रोहतास, डेहरी डालमियानगर के पूर्व मुख्य पार्षद विशाखा सिंह पर बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने गलत जाति प्रमाण पत्र मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। बताया गया कि डेहरी डालमियानगर की पूर्व मुख्य पार्षद विशाखा सिंह ने 2017 में गलत जाती प्रमाणपत्र लगा कर चुनाव लड़ा था। जिसको लेकर विधायक फतेह बहादुर सिंह और तत्कालीन पार्षद अनीता देवी के पति गुड्डू चंद्रवंशी ने माननीय उच्च न्यायालय में एक अर्जित दाखिल कर पूरे मामले की जांच करने की मांग की थी। जिसमें बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने अहम फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्य पार्षद के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया है। अब पूर्व मुख्य पार्षद विशाखा सिंह पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है तथा वर्तमान में पार्षद की सदस्यता भी जा सकती है।
ज्ञात हो कि विधायक फतेबहादुर सिंह और तत्कालीन पार्षद अनिता देवी के पति गुड्डू चंद्रवंशी ने एक अर्जी उच्च न्यायालय पटना में दी थी। जिसमे कहा गया था कि जब तत्कालीन मुख्य पार्षद के पति जाती से राजपूत हैं तो उनकी पत्नी अतिपिछड़ा कैसे हो गईं। इस पर संज्ञान लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को उनके जाति प्रमाण पत्र की जाँच करने का आदेश दिया। बताया जाता है कि पूर्व मुख्य पार्षद विशाखा सिंह एवं उनके पति ने उस वक़्त कुर्सी नही छुटे इसके लिए महाराष्ट्र का जाली जाति प्रमाणपत्र दिखाया और डेहरी डालमियानगर के जनता के आंखों में धूल झोंककर 5 सालों तक अतिपिछड़ा सीट की हकमारी कर लूट खसोट में लगे रहें। इस दौरान विकास से ज्यादा लोगो को चुप कराने एवं मलाई खिलाने पर ज्यादा ध्यान दिया गया। लेकिन आज बिहार सरकार के आदेश के बाद जनता के बीच ‘दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। वहीं इस खुलासे पर वर्तमान मुख्य पार्षद शशि कुमारी ने कहा कि सच्चाई को कितना दिन दबाए रखा जा सकता है, एक न एक दिन तो बाहर आना ही था। मैं तमाम शहरवासियों से कहना चाहूंगी कि जब आपने अपना हक़ दुसरो को दे दिया तब शहर का विकास रुका था। लेकिन अब इसी शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का प्रण लेकर मैं यहाँ आयी हुँ। आप तमाम जनता से निवेदन है कि किसी के बहकावे में ना आकर अपने नगरपरिषद के कार्यो को देखिए और जो गलत लगे उसे खुद हमसे बताइए मैं उसे हरसंभव सही करने की कोशिश करूंगी।