गांव कि बदहाली, सरकार की योजनाओं को उड़ा रहे है मजाक…

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झारखण्ड के गुमला में सरकार की योजनाओं को जिला प्रशासन के द्वारा मजाक देखना है। तो शहर से सटे 2 किमी की दूरी पर स्थित करौंदी पंचायत है। वही पंचायत में एक ऐसा गांव भी है जहाँ अधिकारी की उदासीनता और कर्मचारी की लापरवाही के कारण गांव आज खुद ही मजाक बना बैठा है।आजादी के एक दशक बीत जाने के बाद भी यह गांव विकाश की बाट जोह रही है। लेकिन गांव में विकाश कोसो दूर है।

मामला जिला मुख्यालय से सटे 2 किमी की दूरी पर स्थित करौंदी पंचायत के हंसः लता और अंबातोली गांव का यह पूरा मामला है। जहाँ अधिकारी की उदासीनता और पंचायत सेवक मुखिया की लापरवाही के कारण आज गांव विकास के नाम पर कोषों दूर है। वही गांव के लोगो को सरकार के कल्याणकारी योजना का लाभ ग्रामीणों को अब तक नही मिला है। जिससे गांव के ग्रामीण बेचारे ही नजर आते है। समस्या की बात करे तो गांव में सड़क नही है। बरसात के दिनों में यह गांव टापू बन जाता है। गांव के लोगो को शौचालय भी मिला है।

कई लाभुक ऐसे है, जिनको शौचालय भी नही मिला है। और बिचौलिया ने शौचालय का रुपया भी निकाल लिया कुछ लोग की शौचालय बना है। लेकिन अधूरा है। जिससे शहर जैसा मॉडल ग्राम में विकसित गांव के लोग आज भी शौच के लिए खुले में शौच करने को मजबूर है। गांव में लगभग 6 चापा नल है। लेकिन 2 नल ठीक है। जिससे गांव में पे-जल की समस्या लगातार बनी हुई है। मेडिकल की बात करे तो ग्रामीणों को यह सुविधा नही मिला है। आपात की हालत में बीमार मरीज को बहँगी से टांग कर 6 किमी दूरी तय करने के बाद ऑटो या एम्बुलेंस से मरीज को स्प्ताल पहुचाया जाता है। वही हम अगन बाड़ी केंद्र की बात करे तो इन्हें खुद इलाज की जरूरत है। वही 12 वर्षो से यह अगन बाड़ी केंद्र बीमार की हालत में चल रहा है।

हम स्कूल की बात करे स्कूल में चापा नल नही है। आस पास नल भी है । तो खराब पड़ा है। बच्चे और गांव के ग्रामीण नदी का गन्दा पानी पीने को विवस है। तस्वीर देख सकते किस तरह मॉडल ग्राम की धज्जी उड़ाई जा रही है।जिससे यह कहना गलत नही होगा कि सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना अधिकारी कर्मचारी और बिचौलिया की भेट भरने के लिए मजबूर है। मॉडल ग्राम गांव में कोई भी योजना गांव में संचालित नही है। जिससे गांव के ग्रामीण बदहाली की जीवन जीने को मजबूर है।

वी/ओ-3-ज्ञात हो कि केंद्र की सरकार ने ऐसे कई गांव को चुन कर रुबरन मिशन के तहत गांव को शहर की तरह शहर जैसा गांव बनाने व मॉडल गांव बनाने का अभियान चलाया है। जिसमे 3 साल की योजना में 45 करोड़ दिया गया है। जिसमे अन्य विभाग के सहयोग से रुबरन मिशन योजना को पूर्ण करना है। इस राशि से गांव में सड़क तलब कुआ शौचालय पानी रोड लाइट व अन्य जो शहर की सुविधा को बहाल करना है। साथ ही इसके माध्यम से गांव के लोगो को रोजगार भी मुहैया कराना है। लेकिन जिला प्रसासन की उदासीनता साफ झलक रही है और पंचायत सेवक मुखिया की लापरवाही का ग्रामीण दंश झेल रही है।

इधर ग्रामीण का कहना है। कि वर्षो से सरकार की कोई भी योजना हम तक नही पहुचा है। यदि सरकार की योजना हम तक पहुँचती तो यह गांव लाचारी की जीवन नही जीता गांव के लोग ने कहा कि जिला प्रसासन पंचायत सेक और मुखिया की मिली भगत के कारण आज यह गांव बदहाली में है। वही इस मामले में मिशन बदलाव के प्रेम कच्छप ने गांव का दौरा किया और गांव के लोगो के साथ जिला मुख्यालय पहुच कर अपर समाहर्ता सुधीर कुमार गुप्ता को ज्ञापन सोप और गांव की हालात की जानकारी दी जिसके बाद सुधीर कुमार गुप्ता ने भरोसा दिया है ओर कहा कि आज के दौर में इस तरह की समस्या की जानकारी हुई है। यह जिला प्रसासन के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है। इस पर जांच कर आगे की कार्यवाही करने की बात कही है।

बहरहाल जो भी हो गुमला जिला प्रसाशन की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को कोई सुविधा नही मिल पा रहा है सरकार को ऐसे लापरवाह पदाधिकारी को पर करवाई करने की जरूरत है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा गांव के विकास के लिए एक साल में 45 करोड़ रुपये दिए लेकिन जिला प्रसाशन के द्वारा विकास योजना कोई नही हुवा है

गुमला से अजित सोनू की रिपोर्ट…

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